मेरी यह सेक्सी कहानी आज से 4 साल पहले की है, जिसमें जवानी की मस्ती और चुदाई का रोमांच भरा है। मेरे घर के पास तीन बहनें रहती थीं। उस वक्त उनके नाम और उम्र कुछ इस तरह थे – रुचि – 18 साल, रचना – 19 साल, रितिका – 20 साल। मैं 18 साल का था और मेरा नाम रोहित है। हम सब मिलकर बहुत छुपन-छुपाई खेलते थे।
एक दिन हम चारों घर में थे और उस वक्त घर में कोई नहीं था। मैंने देखा कि रुचि बाथरूम जा रही है। बाथरूम मेरे घर के दूसरे माले पर था।
रुचि मुझसे बोली, “प्लीज… मेरे साथ ऊपर चल, मुझे बाथरूम जाना है।”
मैं उसके साथ ऊपर गया और वो बाथरूम में चली गई।
हमारे बाथरूम के दरवाजे में एक छेद था। मैंने अपनी एक आँख उस छेद पर लगाई और देखा तो रुचि पूरी नंगी होकर टॉयलेट की सीट पर बैठी थी और अपने छोटे-छोटे मनुके (स्तन) सहला रही थी। उसके मनुके गुलाबी थे, उसकी चूत पर बाल थे। उसकी चूत बहुत फूली हुई थी। उसकी चूत के बीच में एक गुलाबी दाना दिख रहा था।
सब कुछ इतना शानदार था कि मेरा लंड मस्ती में आ गया और धीरे-धीरे बड़ा और खड़ा हो गया, पूरा 7 इंच का हो गया। मैंने उसे बाहर निकाला और बाथरूम के छेद से देखते हुए अपना लंड हिलाने लगा। मेरी इच्छा हो रही थी कि बाथरूम के अंदर जाऊँ… लेकिन डर लग रहा था।
मैंने देखा कि रुचि अब हाथ धो रही है। उसके दोनों मनुके कड़क हो गए थे। उसने दो मिनट तक मनुके सहलाए और फिर कपड़े पहनने लगी।
फिर मैं और रुचि नीचे आए।
नीचे आने के बाद मैंने रितिका के कान में कहा, “रुचि बाथरूम में अपने मनुकों के साथ कुछ कर रही थी।”
तो रितिका बोली, “वो तो हम तीनों मिलकर करती हैं।”
मैंने पूछा, “कैसे?”
वो बोली, “चल बताती हूँ।”
फिर हम चारों एक कमरे में आए।
रितिका बोली, “आज नया खेल शुरू करते हैं।”
“कैसा खेल?” मैंने कहा।
रितिका बोली, “मैंने सुना है कि लड़कों की सुसू लंबी होती है… आज हम सब मिलकर एक-दूसरे की सुसू देखेंगे।”
हम सब तैयार हो गए।
फिर रचना, जिसने स्कर्ट और ब्लाउज पहना था, उसे रितिका ने पलंग पर लिटाया और पहले उसकी स्कर्ट उतारी। उसकी सफेद पैंटी दिखने लगी। फिर रितिका ने उसका ब्लाउज उतारा। अब रचना सफेद ब्रा और पैंटी में मस्त लग रही थी। उसके 32 साइज़ के शानदार बॉल थे।
रितिका मुझसे बोली, “रोहित, तू पलंग पर लेट।”
मैं लेट गया।
फिर रितिका ने मेरा शॉर्ट्स उतारा और बनियान निकाल दी।
फिर मैंने रितिका को अपनी बगल में लिटाया। उसने सलवार कुर्ता पहना था। पहले मैंने उसका कुर्ता उतारा और फिर सलवार निकाली। अंदर 34 साइज़ की ब्रा थी और मनुके दिख रहे थे। उसकी पैंटी गुलाबी थी।
उसके बाद रुचि भी ब्रा और पैंटी में आ गई। मेरा लंड मस्त कड़क और टाइट हो गया और अंडरवियर से दिखने लगा।
तो रुचि बोली, “तेरी सुसू अंडरवियर के अंदर कैसे दिख रही है… इसे क्या हुआ?”
मैंने कहा, “ये जब नंगी लड़कियों को देखता है तो ऐसा कड़क हो जाता है।”
फिर मैंने रितिका से कहा, “वहाँ लेटकर तू भी अपनी चूत दिखा ना।”
वो बोली, “मुझे शर्म आती है।”
मैंने कहा, “अच्छा, पहले मेरा देख…”
और मैंने अपनी चड्डी उतारी और मेरा 7 इंच का मस्त लंड बाहर आ गया।
उसे खड़ा देखकर तीनों हैरान हो गईं और बोलीं, “क्या ये चूत के अंदर जाता है?”
मैंने कहा, “हाथ लगाकर देखो।”
सबसे छोटी रुचि, जो 18 साल की थी, बोली, “हमारी सुसू तो फट जैसी होती है। तेरी तो लंबी और बहुत मोटी है।” तीनों मेरे लंड को बारीकी से देख रही थीं।
तीनों बोलीं, “आज पहली बार किसी लड़के का लंड देखा है।”
तभी रुचि ने मेरे लंड को अपने मुलायम हाथ में पकड़ा और बोली, “ये तो बहुत गर्म और कड़क है।”
फिर रचना और रितिका आगे आईं और उन्होंने भी लंड पकड़कर देखा और सहलाने लगीं।
तीनों ने पूछा, “ये कभी-कभी छोटा और कभी-कभी बड़ा कैसे हो जाता है? हमने तो आज तक छोटे बच्चों की सुसू देखी है, वो तो बहुत छोटी होती है।”
फिर मैंने तीनों से पूछा, “क्या तुम्हें पता है कि ये लंड तुम्हारी चूत की फट में पूरा अंदर जाता है…”
तो तीनों बोलीं, “हाँ, हम दोस्तों से बात करती हैं… लेकिन इतना बड़ा और मोटा इतनी छोटी फट में कैसे जाता होगा? हमारा तो एक उँगली भी आसानी से नहीं जाती।”
मैंने कहा, “कहो तो डालकर दिखाऊँ?”
तीनों एक साथ बोलीं, “हाँ, दिखा…”
तब हम सब जवाजवी के मूड में थे और सबको पता था कि ठोकाठोकी कैसे करते हैं, लेकिन अब तक किसी ने ऐसा नहीं किया था। इसलिए सबको ये खेल खेलने की इच्छा थी।
फिर मैंने रुचि को लिटाया और कहा, “अब तुम तीनों अपनी चूत और मनुके दिखाओ।”
फिर मैंने पहले रुचि को पूरा नंगा किया… उसके दोनों मनुके पूरी तरह कड़क हो गए थे और चूत इतनी मस्त गुलाबी थी कि मेरा लंड बहुत कड़क हो रहा था। तभी रितिका ने रुचि का मनुका मुँह में लिया और चूसने लगी।
रुचि को मस्ती चढ़ गई और उसने मेरा लंड पकड़ लिया। मैंने भी उसके मनुके पकड़कर दबाने शुरू किए।
दोस्तों, फिर खेल शुरू हो गया और आप सबको पता है कि आगे क्या हुआ होगा? वो तीनों मेरे लंड की शिकार बन गईं और कैसे, ये तो आपको समझ ही गया होगा…
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