हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम अनूप है और मैं 20 साल का हूँ। यह कोई काल्पनिक सेक्स कहानी नहीं, बल्कि मेरी जिंदगी की एक सच्ची आत्मकथा है, जो पिछले हफ्ते घटी। इस गे सेक्स स्टोरी में आपको मेरे अनुभव का पूरा मजा मिलेगा। मैं एक गे हूँ और मुझे गांड मरवाना बहुत पसंद है। मेरे पिताजी का लोहे के हथियार बनाने का कारखाना है और हम साउथ दिल्ली में रहते हैं। जब मुझे लंड लेने की इच्छा होती है, तो मैं कुछ आगे-पीछे नहीं देखता, बस उस कच्चे केले जैसे लंड को मुँह और गांड में लेना चाहता हूँ। लेकिन मेरे पिताजी बड़े आदमी हैं और उनकी गाड़ी में जाना जोखिम भरा है, इसलिए मैं अपने घर से 2 मिनट की दूरी पर स्थित रिक्शा स्टैंड से रिक्शा लेकर अपने लंड के पास जाता था। इस स्टैंड पर हमेशा 2 रिक्शे रहते थे – एक 45 साल का बूढ़ा ड्राइवर और दूसरा जवान ड्राइवर। मैं हमेशा बूढ़े की रिक्शा लेता था, क्योंकि वो आराम से चलाता था और मेरी गांड को कम झटके लगते थे।
इस बूढ़े रिक्शावाले का नाम किशन पांडे है और मैं उसे किशन चाचा कहता था। किशन चाचा को मेरे मोबाइल पर बात करते वक्त मेरी बातें सुनने की आदत थी, जैसे मैं कभी-कभी अपनी गांड मरवाने वालों को कहता था कि कंडोम लेकर आना वगैरह-वगैरह। लेकिन मुझे उससे कोई डर नहीं था, क्योंकि मैं उसे डबल किराया देता था। किशन चाचा को अब मेरी सेक्स लाइफ के बारे में पता चल गया था और उसे ये भी मालूम था कि मैं कहाँ जाकर अपनी गांड मरवाता हूँ। जब मैं रिक्शे में बैठता था, तो वो मुझे दो जगहों के नाम बताता था, जो मेरे गांड मरवाने के मुख्य ठिकाने थे।
उस दिन मैंने सुशील नाम के एक आदमी को अपने पसंदीदा होटल में बुलाया था, वो मेरा टॉप पार्टनर है। किशन चाचा ने पूछा, “गोल्डन होटल या गुरु रेस्टोरेंट?” मैंने कहा, “गोल्डन होटल।” वहाँ पहुँचकर मैंने रिक्शे से ही सुशील को फोन किया। उसने पहले दो-तीन कॉल नहीं उठाए। फिर 10 मिनट बाद उसका फोन आया कि उसकी गर्लफ्रेंड आ गई है और वो नहीं आ पाएगा। मैंने फोन पर ही उसकी गांड मारी और उसे खूब गालियाँ दीं। किशन मेरी तरफ देख रहा था। मैंने सुशील का फोन काटा और मन में सोचने लगा कि आज तक मेरी गांड मारता था और आज चूत मिली तो मुझे धोखा दे रहा है। सचमुच दोस्तों, गे होना एक अभिशाप है, लेकिन लंड की प्यास कहाँ सुनती है। रिक्शे में बैठकर मैंने चाचा से कहा, “चलो।” चाचा बोला, “क्या हुआ?”
मैंने उससे कुछ नहीं छुपाया और सब बता दिया। वो हँसकर बोला, “तो चल मेरे साथ, मैं तुझे मजा देता हूँ।” मैं उसका मुँह देखता रह गया। उसकी उम्र मेरे पिताजी जितनी है, फिर भी वो मेरी गांड मारने को तैयार है। मैंने सोचा, आज तक इतना बूढ़ा लंड नहीं लिया, चलो आज इस बूढ़े को खुश कर दूँ। वैसे भी मेरी गांड सुशील का इंतजार करते-करते गुदगुदी कर रही थी। मैंने कहा, “चाचा, ले चलो गोल्डन वापस।” चाचा बोला, “नहीं, मुझे एक और अच्छी जगह पता है। बंद कमरे से बेहतर है खुले में मजा लेना।” मैंने अपनी बैग पकड़ी और बैठ गया। चाचा मुझे एक नई बन रही इमारत के पास ले गया। उस इमारत का काम किसी वजह से रुका हुआ था। पूरी इमारत बन चुकी थी। किशन चाचा ने रिक्शा पार्क किया और बोला, “चल।”
मैं उसके पीछे गया। अंदर जाकर उसने कहा, “देख, कितनी खुली जगह है।” वो पार्किंग एरिया था और काफी बड़ा था। वो कोने में गया और अपनी पैंट खोलकर लंड बाहर निकाला और बोला, “आ।” उसका लंड 8 इंच लंबा और ढाई इंच मोटा था। मैंने अपनी बैग से वेट टिश्यू निकाला और उसके लंड को साफ किया। फिर कंडोम निकाला और उसके लंड पर चढ़ा दिया। मेरे होंठ अब किशन चाचा के लंड को सुख देने लगे। लंड चूसते वक्त मैंने उसकी तरफ देखा तो आनंद से उसकी आँखें बंद हो गई थीं। उसने मेरे सिर के पीछे हाथ रखा था और लंड को मुँह में जोर से धकेलने की कोशिश कर रहा था। मैं सिर्फ आधा लंड चूस रहा था। पूरा लंड लेने की कोशिश की तो उल्टी होने लगी। अब मैंने लंड मुँह से निकाला और हाथ से हिलाने लगा। किशन चाचा का लंड गर्म हो गया था। वो बोला, “चल, अब खोल।”
मैंने अपनी पैंट उतारी और उसकी तरफ गांड करके खड़ा हो गया। वो बोला, “अरे, तेरी गांड बहुत चिकनी है रे। एक भी बाल नहीं है।” मैंने कहा, “चाचा, मैं इसे साफ रखता हूँ, बालों वाली गांड मरवाने में लोगों को तकलीफ होती है।” चाचा ने अपना लंड मेरी गांड पर सेट किया। अब तक मेरी इतनी बार मरवाई होगी कि उसमें लंड डालना बहुत आसान है। लेकिन चाचा जैसा मोटा लंड मेरे नसीब में आज तक नहीं आया था। जैसे ही उसने कंडोम वाला लंड मेरी गांड में डाला, मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। मैंने भी हाथ से गांड पकड़कर फैलाई। चाचा ने पूरा लंड अंदर डाल दिया। उसके लंड की मोटाई मुझे बहुत पसंद आई। वो अब मुझ पर टूट पड़ा। शायद उसने कई दिनों से सेक्स नहीं किया था। वो जोर-जोर से ठोके देकर मेरी गांड मारने लगा। अब मैंने अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखे थे और कमर हिलाकर उसका साथ दे रहा था। किशन चाचा ने मेरी गांड पर अपने हाथ रखे थे और जोर-जोर से मार रहा था। मुझे आज जैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। “आह आह आह आह चाचा मारो आह आह मेरी आह आह और जोर से आह आह ठोको अपना लंड मेरी गांड में।” वो बोला, “हाँ, आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा, रुक जरा।” सभ्य और शांत दिखने वाला चाचा मेरी गांड की माँ मार रहा था।
फिर 10 मिनट तक मेरी गांड मारने के बाद चाचा ने वीर्य छोड़ दिया। उसने कंडोम में 20 ग्राम वीर्य भरा। उसने लंड बाहर निकाला और बोला, “सचमुच तेरी गांड बहुत गर्म और चिकनी है रे।” फिर हमने कपड़े पहने और चाचा ने मुझे घर छोड़ दिया। उसने पैसे नहीं लिए, रिक्शे का किराया उसने मेरी गांड मारकर वसूल कर लिया था। फिर मेरी और चाचा की सेटिंग जम गई। मैं आज भी कभी-कभी चाचा से अपनी गांड मरवाता हूँ, क्योंकि उसका मोटा लंड मुझे बहुत पसंद है।
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