जब से माधव घर के सामने रहने आया था, बेला बहुत बेचैन हो गई थी। वह देखने में सुंदर युवक उसे दिल से पसंद आ गया था। उसे घर में बुलाकर अपनी योनि की आग शांत करने की इच्छा उसके मन में थी। उसके पति भी बाहर गाँव गए हुए थे। अगर वे होते, तो भी वह अतृप्ति की आग में जलती रहती। उन्हें भी पता था कि उनकी पत्नी की इच्छाएँ पूरी नहीं हो पातीं। बेला माधव को बुलाने का सोच रही थी, लेकिन उसका दूसरा मन कह रहा था कि उसे घर बुलाना ठीक नहीं। अगर किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी। फिर भी वह उसके स्पर्श के लिए आतुर थी। एक दिन उसे जरूर बुलाने का सोचकर वह सो गई, लेकिन अगले दिन भी उसे बुलाने की हिम्मत नहीं हुई। जिस पुरुष को उसे पति के रूप में मिला था, उसके लिंग में उसकी जवानी की आग बुझाने की ताकत नहीं थी। वह माधव जैसे युवक के साथ संभोग करने के सपने देख रही थी, लेकिन उसके मन में हिम्मत नहीं थी। उसके लिंग को देखकर उसे अपनी योनि में समाने की चाहत थी। उसका तन-मन काम सुख के लिए बेताब था। उसके लिंग से प्यार करना, उसे हाथ में लेकर सहलाना, मुँह में लेकर जी भरकर चूसना और फिर योनि में डालकर जोर-जोर से अंदर-बाहर करना—ऐसा उसे करना था। कोई जाने तो भी चले, माधव ही उसका सब कुछ है, ऐसा उसे लगने लगा था। उसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार थी।
उसके बारे में सोचते-सोचते उसकी योनि में खुजली होने लगी। बिना कुछ सोचे बेला ने एक उंगली योनि में डाल दी। यह कल्पना करते हुए कि वह माधव का लिंग अपनी योनि में ले रही है, वह उंगली तेजी से अंदर-बाहर करने लगी। वह उठकर बैठ गई। उसकी जाँघें अपने आप फैल गईं। उंगली योनि में अंदर-बाहर करते हुए वह चीख रही थी। योनि के स्राव से उसकी उंगली भीग गई थी। उसके मन में माधव के विचार भरे थे। अचानक उसने उसका नाम लेकर जोर से चीख मारी। उसकी योनि ने पानी छोड़ दिया और वह ढीली पड़ गई। उसका पूरा शरीर सुस्त हो गया। उसने योनि को पेटीकोट से पोंछा। उस दिन वह शांत सो गई। माधव के साथ काम तृप्ति न मिलने से उसने उंगली से ही काम चलाया था।
सुबह उठकर वह बाहर आई। माधव कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। रोज सुबह वह बाजार जाता था। शायद आज भी बाजार गया हो, ऐसा उसे लगा। उसे न देखकर वह खुद पर ही खीझ गई। उसने नौकर को आवाज दी। वह आया तो उसने पूछा, “मेरे कपड़े बाथरूम में रखे क्या?” “नहीं मालकिन… अभी रखता हूँ,” नौकर ने कहा। “क्या रे… जो काम कहा वो वक्त पर नहीं कर सकता क्या?” मन का गुस्सा उसने नौकर पर निकाला। नौकर ने कपड़े बाथरूम में रखे, तो उसने मन में एक विचार किया और फिर नौकर को बुलाया। नौकर आया तो वह बोली, “मैं आज बाहर जा रही हूँ… तू घर जा सकता है… पूरे दिन की छुट्टी है तुझे। कल सुबह आना।”
नौकर खुश होकर चला गया। नौकर के जाने के बाद वह बाथरूम में नहाने चली गई। पूरी नग्न होकर नहाने लगी। अपने सारे अंगों के साथ योनि को भी रगड़कर साफ किया। योनि के बाल पहले ही हटा दिए थे, जिससे उसकी फूली हुई मखमली योनि और चमकने लगी। कुछ भी हो, आज माधव से अपनी योनि की आग बुझाने का निश्चय उसने कर लिया था। सुगंधित साबुन लगाने से उसका पूरा शरीर खुशबू से महक रहा था। योनि पर भी परफ्यूम छिड़का था। उसने अपने नग्न शरीर को आईने में देखा। अपने उत्तेजक नग्न देह को देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गई। शरीर पर रूमाल डालकर वह अपनी खोली में आई। बाल सुखाने के लिए उन्हें खुला छोड़कर बाहर गई। माधव बाहर से जाते हुए दिखा तो वह बहुत खुश हुई। जल्दी से बाहर आई। वह भी उसकी ओर देख रहा था। उसने फटाफट उसे अंदर आने का इशारा किया। वह आएगा, ऐसा सोचकर वह अंदर चली गई। कुछ देर में माधव उसकी खोली में आ गया। आते ही उसने पूछा, “आपने बुलाया मैडम?” “हाँ माधव, मैंने ही बुलाया था। कल से दिखा नहीं, कहाँ था… मेरे तन-मन में आग लगाकर ऐसे कहाँ चला जाता है?” वह अधीर होकर बोली।
वह उसे देखता रहा। अपने कहे शब्दों का अहसास होते ही वह संकोच गई। लेकिन बेड पर बैठते हुए हिम्मत कर बोली, “जरा इधर आ माधव…” वह चुपचाप उसके पास गया। तब वह बोली, “अरे आ, घर में कोई नहीं है, नौकर को भी छुट्टी दे दी है…” कहते हुए उसने अपनी जाँघें खोल दीं। उसकी मुलायम गोरी जाँघें देखकर उसकी भी वासना भड़क उठी। उसके उभरे हुए स्तन देखकर उसका संयम भी टूटने लगा। उसने पूछा, “मैडम, आपको आपत्ति न हो तो मैं दरवाजा बंद कर दूँ?” “हाँ, जल्दी बंद कर,” बेला खुश होकर बोली। उसने फटाफट दरवाजा बंद किया। जब तक वह दरवाजा बंद करके आया, बेला पूरी नग्न हो चुकी थी। “माधव, मेरे सखा…” उसने पुकारा। “क्या मैडम?” उसने जवाब दिया। “मुझे सिर्फ बेला कह, और जैसे मैं नग्न हुई हूँ, वैसे तू भी अपने कपड़े उतार दे।” “ऐसे ना डार्लिंग, उतारता हूँ…” हँसते हुए उससे नजदीकी बढ़ाते हुए वह बोला।
उसके तंदुरुस्त शरीर को देखकर उसके शरीर की आग और भड़क गई। चौड़ी छाती, मजबूत जाँघें और मोटा लंबा लिंग देखकर वह पागल हो गई। तभी उसने उसे उठाया और चुम्बनों की बरसात शुरू कर दी। उसकी योनि की खुजली बढ़ रही थी। माधव ने बेला को बेड पर लिटाया और उसके स्तनों को चूसने और जोर-जोर से दबाने लगा। जैसा बेला चाहती थी, वह वैसा ही कर रहा था। उसने तुरंत उसके पैर फैलाए और अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई। बेला चीख पड़ी। उसे जो चाहिए था, वह हो रहा था। उसे स्वर्गीय सुख मिल रहा था। वह चूस रहा था और वह अपने नितंब ऊपर-नीचे कर सुख ले रही थी। वह जीभ को उसकी योनि में अंदर-बाहर करने लगा। वह उन्माद से तड़पने लगी। उसकी जीभ से उसकी योनि में गुदगुदी हो रही थी। उसका फड़फड़ाता दाना वह चूस रहा था। कई दिनों की उसकी इच्छा आज पूरी हो रही थी। वह उसके लिंग को आँखें फाड़कर देख रही थी। उसका लिंग टनाटन उछल रहा था। उसकी हरकतें उसे मोहक लग रही थीं। वह उसके स्तन दबा रहा था। “ओह माधव, वक्त मत गँवाना… मुझे अब रहा नहीं जाता… अपना लंबा लंड मेरी चूत में डाल और मुझे तृप्त कर, सखा, जल्दी डाल…”
वह तड़पकर उससे बोल रही थी। माधव आगे बढ़ा। उसने अपना फड़फड़ाता लिंग हाथ में पकड़ा और उसने अपनी जाँघें और फैला दीं। उसने अपना लंबा लंड उसकी चूत पर टेकाया और उसका लिंग उसकी चूत में घुसने लगा। उसकी चूत गीली होने से लंड आसानी से अंदर जा रहा था। उसके लिंग का स्पर्श वह आँखें बंद करके महसूस करने लगी। देखते-देखते उसने अपना लंड पूरी तरह उसकी चूत में डाल दिया। वह तड़पने लगी। उसके धक्के बढ़ने लगे। उसकी योनि से कामरस बाहर आने लगा था। वह उसे जकड़कर खूब साथ दे रही थी। उसके मुँह से तड़प भरे आवाज निकल रहे थे। “हाय सखा, सचमुच तू दमदार है, तेरा लिंग कितना मज़ा दे रहा है, कितने जोरदार धक्के मार रहा है… और जोर से कर माधव…” उसने फिर से जोर-जोर से धक्के शुरू किए। उसका लिंग उसकी योनि में गहराई तक जा रहा था। कुछ ही धक्कों में बेला शांत हो गई। माधव भी थककर उस पर लेट गया। अब यह खेल रोज होने वाला था…
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तो दोस्तों, ये थी बेला और माधव की कहानी। आपको कैसी लगी? कुछ पूछना हो या और कहानी सुननी हो, तो ज़रूर बताना!
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