मेरी भतीजी की जवानी की कहानी में पढ़ें कि मुझे अपनी साली की बेटी यानि मेरी भतीजी की जवानी को देखकर लगता था कि साली को लिटा कर चोद डालूं. मगर वो मुझे शरीफजादी लगती थी. एक दिन एक शादी में मैंने जो देखा .
दोस्तो, मैं आपका अपना दोस्त रसूल खान हूँ. आज मैं आपको अपनी किस्मत का चमत्कार बताना चाहता हूँ. कैसे मुझे मेरी किस्मत ने एक नहीं बल्कि तीन लाजवाब चूतों को चोदने का मौका दिया और मैंने भी उस मौके का भरपूर फायदा उठाया.
अपनी थोड़ी सी बेशर्मी और बदतमीजी की बदौलत मुझे ज़िंदगी भर याद रहने वाली यादगार चुदाइयां करने का मौका मिला.
तो आइए लुत्फ लीजिए जवानी की कहानी का.
दोस्तों जैसा कि मैंने अपना नाम रसूल खान बताया . मैं बिहार में रहता हूँ और शादीशुदा हूँ. दो बच्चों का बाप हूँ. शादी से पहले और शादी के बाद भी मैंने बहुत सी औरतों और लड़कियों की जवानी का रस पिया है. मेरी अपनी दर्जी की दुकान है, साथ में कॉस्मेटिक शॉप भी है. इस वजह से मेरी दुकान में हमेशा औरतों और लड़कियों की भीड़ सी लगी रहती है. हर उम्र की औरतों के लिए मेरे पास ब्रा, पेंटी, लिपस्टिक, बिंदी सब कुछ है. काम बहुत अच्छा चल रहा है.
मगर इतनी लड़कियां आस पास होने की वजह से मेरी हवस हर वक्त जवान रहती है. मैं हमेशा ही हर लड़की या औरत को चोदने के लिए तैयार ही रहता हूँ. दुकान में मैं थोड़ा शराफत से पेश आता हूँ. मगर अपनी रिश्तेदारी और आस पड़ोस में मैं बहुत मज़ाकिया और ज़िंदादिली से पेश आता हूँ.
इसी वजह से बहुत सी औरतें तो मेरी झोली में खुद आ गिरीं. यहां तक कि मेरी सगी बुआ ने मेरी चढ़ती जवानी में खुद आकर मेरा लौड़ा पकड़ लिया था. जब उसने मेरा लंड पकड़ा, तो बस मैंने पेल दिया.
अब आप सोचेंगे, साले अपने ही बाप की बहन चोद दी. मैं कहूँगा कि क्या आपको मौका मिलता, तो क्या आप छोड़ देते. छोड़ता कोई नहीं है, सब साले दूसरे को उपदेश देते हैं. इसलिए जो मिले खा जाओ.
अब हुआ यूं कि मेरा छोटा साला जो है, उसकी बीवी फ़रजाना, पर मेरी शुरू से ही नज़र थी. जब से वो शादी करके आई थी . तब से बड़ी मासूम सी प्यारी सी लड़की थी. साले ने चोद चोद कर उसको शानदार औरत बना दिया. उसके तीन बेटियां हुईं. सबसे बड़ी बेटी इंशा, बिल्कुल अपनी माँ पर गई. बाकी दो बेटियां अपने बाप पर गईं.
सच कहूँ तो बचपन से ही मेरी इंशा पर भी बुरी नज़र थी. मेरी बड़ी चाहत थी कि अगर कभी मौका मिले, तो मैं माँ बेटी दोनों को चोदना चाहूँगा. मगर ऐसे मौके मिलते कहां हैं.
खैर वक्त बीतता गया और इंशा बड़ी क्लास में हो गई. जवानी की दहलीज पर लाजवाब हसीना इंशा मस्त होने लगी थी. उसका बदन भरने लगा था. गोरा गुलाबी रंग और कसा हुआ चिकना बदन था. जब कभी जीन्स टी-शर्ट पहनती, तो कसे हुए कपड़ों में उसका बदन देख कर मेरा दिल करता कि साली को उठा कर ही ले जाऊं. मगर लड़की बेहद शरीफ थी. बेशक आज के दौर की फैशनेबल लड़की थी, मगर उसका कभी किसी लड़के से किसी भी चक्कर की कोई बात नहीं सुनी थी. इतनी सुंदर होकर भी उसका कोई टांका नहीं भिड़ा था.
उसी दरम्यान हमारे बड़े साले साहब की बेटी की शादी आ गई. शादी हमारे ही शहर में थी, क्योंकि हम लोगों के सबके घर आस पास ही थे. कोई इस मोहल्ले, तो कोई दूसरे मोहल्ले. साले साहब ने भी अपनी बेटी के लिए दूसरे मोहल्ले में ही लड़का देख लिया था. शादी के जितने भी फंक्शन थे, सभी तो हमारे पड़ोस में ही हो रहे थे.
फिर जिस दिन लड़की की मेहंदी की रस्म थी, उस दिन की बात है. मैंने सोचा के बाकी घर के तो सब बिज़ी हैं, क्यों न अपना थोड़ा सा प्रोग्राम फिट किया जाए. मैंने अपना एक दारू का अद्धा लिया और पानी और नमकीन अपनी जेबों में भर कर मैं छत पर चला गया.
फिलहाल तो मैं अकेला ही था, सो छत पर जाकर एक कोने में बैठ गया. मैंने एक पैग बनाया और पीने लगा. सामने मेरे साले का घर दिख रहा था, मैंने एक पैग खींचा. अभी दूसरा बनाने ही लगा था कि मुझे सिगरेट की महक आई.
अब सिगरेट तो मैं भी पी लेता हूँ तो मेरा भी मन मचला कि यार सिगरेट पीने को मिल जाती, तो मज़ा आ जाता. सो मैंने देखने की कोशिश की कि सिगरेट कौन पी रहा है.
सिगरेट की गंध हमारे पड़ोस वाले घर की छत से आ रही थी. मैंने चुपके से उधर को देखा. उधर का तो नज़ारा देख कर मेरी हैरानी का कोई पार ही न रहा. मेरे छोटे साले की लड़की इंशा सामने एक दीवार के साथ पीठ टिका कर बैठी थी, साथ में उसकी सहेली थी. मैंने ध्यान से देखा, दोनों के एक हाथ में गिलास और दूसरे हाथ में सिगरेट थी.
मैं चौंकते हुए बुदबुदाया ‘अरे . बाप रे . इंशा और इसकी ये हालात?’
भतीजी की जवानी की कहानी
वे दोनों सहेलियां, बड़े मज़े से घूंट घूंट करके गिलास से पी रही थीं और सिगरेट के कश पर कश लगा रही थीं. मेरी तो जितनी पी थी, सब उतर गई. मैंने सोचा ये मौका अच्छा है, मैंने चुपके से अपना मोबाइल निकाला और उन दोनों की फोटो खींच ली. सिगरेट पीते हुए, गिलास से दारू पीते हुए.
अब मुझे ये पता नहीं था कि गिलास में बीयर थी, शराब थी, या कोई कोल्ड ड्रिंक थी. मगर मेरा अंदाज़ा था कि गिलास में शराब ही थी. दोनों लड़कियां बड़े बिंदास अंदाज़ में मज़े ले रही थीं.
सो मैंने सोचा क्यों न थोड़ा इनके नजदीक जाकर देखा जाए. मैं दीवार की ओट में खुद को छिपाते हुए अपनी भतीजी और उसकी सहेली के काफी करीब आ गया, जहां से मैं उनकी बात भी सुन सकता था.
इंशा अपनी सहेली शिफा से बोली- यार मज़ा आ गया. मैं तो बहुत दिन से इंतज़ार कर रही थी कि कब दीदी की शादी आए, तो हमें खुल कर मस्ती करने का मौका मिले.
शिफा बोली- हां यार, बहुत दिन हो गए थे, साला पैग मारने का बड़ा दिल कर रहा था. और आज तो देखो, पैग के साथ सुट्टा मारने को भी मिल गया.
इंशा बोली- अब साली ये मत कह देना कि अब तुझे लौड़ा भी चाहिए.
इस पर दोनों ज़ोर से हंसीं.
फिर शिफा बोली- अरे लौड़ा भी मिल जाए, तो दिक्कत क्या है. शादी है, बहुत से लड़के आए होंगे, किसी को भी लाइन दो . साला एक मिनट में लंड अकड़ा कर आ जाएगा.
इंशा बोली- सच कहूँ, दिल तो मेरा भी लंड लेने का कर रहा है. ये देख मैं तो मैदान साफ करके आई हूँ.
ये कहते हुए इंशा ने अपना लहंगा उठा कर शिफा को दिखाया.
तो शिफा बोली- ओ तेरी माँ की चूत, साली तू तो पूरी तैयारी करके शादी में आई है. चड्डी भी नहीं पहनी तूने . तेरा तो सीधे लंड अन्दर ले लेने का प्रोग्राम है.
इंशा बोली- तू भी साली हरामी है एक नंबर की. तैयारी तो तेरी भी होगी, दिखा अपनी ज़रा?
फिर जब इंशा ने शिफा का लहंगा उठा कर देखा, तो उसकी चूत भी बिल्कुल साफ थी. उसने भी पेंटी नहीं पहनी थी.
इंशा बोली- स्साली कुतिया . एक नंबर की भैंनचोद है तू.
दोनों हंसने लगी. मैंने दीवार के पीछे से थोड़ा सा अपना सर निकाल कर देखा. इंशा खड़ी थी और शिफा उसके सामने अपना लहंगा उठा कर बैठी थी, गोरी चिकनी टांगें, उसकी फुद्दी तो मैंने नहीं देख पाया, मगर कमर से लेकर नीचे तक खूबसूरत टांगें देख कर ही मेरा तो मन बहक गया.
मैंने छुप कर अपने मोबाइल से उनकी वीडियो बना ली. उसमें इन दोनों की आवाजें भी रिकॉर्ड हो गई थीं.
मैं तो उन दोनों लड़कियों को बहुत ही शरीफ समझता था, मगर उनकी ये हरकत देख कर तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए. मेरी भतीजी ऊपर से इतनी शरीफ और अन्दर से इतनी छिनाल.
पर उन दोनों की करतूत देख कर मेरा मन भी मचल उठा, अगर मैं उन कच्ची कलियों को चोद नहीं सकता, तो उनकी वीडियो तो बना ही सकता हूँ. ये सोच कर मैं उनकी वीडियो बनाता रहा कि बाद में कभी मन हुआ, तो दोनों की नंगी वीडियो देख कर मुट्ठ तो मार लिया करूंगा.
उसके बाद इंशा ने अद्धा उठाया और दो पैग और बनाए. क्या सलीके से पैग बनाए साली ने. दोनों ने जाम टकरा कर पीना शुरू किया. इंशा खड़ी थी, मगर शिफा बैठी थी. वैसे ही अपना घाघरा ऊपर उठाए खड़ी थी, तो उसकी नंगी टांगें साफ दिख रही थीं.
फिर इंशा बोली- वो देख . तौफीक, साला बड़ा अच्छा लगता है मुझे, दिल करता है इसी से शादी कर लूँ.
शिफा भी उठ खड़ी हुई और उस तरफ देख कर बोली- साली सीधा कह ना कि उससे चुदवाने को मरी जा रही है, अगर उसका लंड लेना है, तो शादी का इंतज़ार क्यों कर रही है. जाकर उसे लाइन दे . हो सकता है, घंटे भर बाद यहीं पर उसका लंड तेरी भोसड़ी में हो.
इंशा हंस पड़ी- हाय . क्या क्या सपने दिखा रही है साली. चल मुझे तो तौफीक मिल जाएगा. पर तू क्या करेगी?
शिफा बोली- अरे मैं तो किसी का भी लंड लेने को तैयार हूँ. कोई मर्ज़ी आ कर अपना खड़ा लंड मुझे दिखाए और मैं उसी का ले लूँगी.
उसकी बात सुन कर मैंने अपनी पेंट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा.
मैंने सोचा कि शिफा भी क्या मस्त लड़की है, अगर मुझे इसे चोदने को मिल जाए, तो मज़ा न आ जाए ज़िंदगी का!
मैं अपना लंड हिलाने लगा. मगर शायद दारू के नशे ने लड़कियों को काफी गर्म कर दिया था. शिफा ने अपना घाघरा ऊपर उठा कर, अपनी एक टांग सामने की दीवार पर रखी और अपने हाथ से अपनी फुद्दी मसलने लगी.
इंशा ने पूछा- ये क्या कर रही है?
शिफा बोली- अरे यार चूत में आग लगी है, बहुत दिल मचल रहा है. अब तो बिन चुदे रहा नहीं जाएगा. अब अगर लंड न मिला, तो मैं तो हाथ से ही कर लूँगी.
भतीजी और उसकी सहेली की बात सुन कर मेरी तो हालत और खराब हो गई. सोचने लगा कि क्या करूँ . जाऊं या न जाऊं. दो लड़कियां, खूबसूरत, नौजवान, मगर मेरे बच्चों के उम्र की. शराब और सेक्स के नशे में बहकती हुईं. मैं अगर उनके पास जाऊं, तो क्या मुझसे चुदवा लेंगी. दिल में बड़ी कश्मकश थी.
मगर उधर शिफा को देख कर इंशा ने भी अपना लहंगा ऊपर उठाया और दोनों सहेलियां एक दूसरे के सामने अपनी अपनी फुद्दी रगड़ने लगी. इधर मैंने भी अपना लंड हिला हिला कर खड़ा कर लिया था.
फिर मैंने सोचा कि जो होगा देखा जाएगा . मान गईं तो ठीक, नहीं तो सालियों के सामने ही मुट्ठ मार लूँगा. आगे की आगे देखी जाएगी.
यही सोच कर मैंने पहले अपना मोबाइल सैट किया, ताकि वहां की सारी वीडियो मैं रेकॉर्ड कर सकूँ. कैमरा सैट करके मैंने चुपके से दीवार फांदी और और उनके पीछे जा कर खड़ा हो गया, थोड़े फासले पर. दोनों लड़कियां पूरी गर्म और मैं भी.
अपनी फुद्दी मसलते हुए शिफा बोली- अरे कोई तो आ जाओ, खड़े लंड वालों, कोई तो मेरी फुद्दी की आग को ठंडा करो . है कोई लंड वाला.
मैंने पीछे से कहा- हां मैं हूँ न!
दोनों लड़कियां एकदम से चौंकी, पीछे मुड़ीं . उनके लहंगे नीचे गिरे और उनकी गोरी नंगी टांगें छुप गईं.
मगर मैं बेशरमों की तरह उनके पीछे खड़ा अपना लंड हिला रहा था.
शिफा एकदम से बोली- फूफू, आप यहां?
मगर मैं ऐसे ज़ाहिर कर रहा था कि जैसे मैंने बहुत पी रखी हो और अब मुझे सिर्फ उनके जिस्म ही दिख रहे हों और कुछ नहीं.
इंशा बोली- फूफाजी आप!
मैंने थोड़ा ओवरएक्टिंग करते हुए कहा- कौन फूफा, किसका फूफा .
वो दोनों शर्मिंदा सी भी थीं, मगर हंस भी रही थीं. अपने अपने मुँह पर हाथ रखे दोनों मेरे लंड को देख देख कर हंस रही थीं.
अब जब दोनों ने कोई जोरदार विरोध नहीं किया, तो मेरी भी हिम्मत बढ़ी. मैं उनके बिल्कुल पास गया और अपने लंड को हिलाते हुए बोला- मुझे तो सिर्फ एक चूत चाहिए थी मारने को, यहां तो दो दो हैं. अब बोलो, किसकी मारूं?
हालांकि अभी भी मुझे शक था कि इनमें से कोई भी मुझसे चुदने के लिए राजी हो सकेगी. मगर हिम्मत करने से ही सफलता हासिल होती है. मेरा लंड बड़ा और मोटा था, जिस वजह से मुझे लग रहा था कि ये दोनों नहीं तो एक तो मान ही जाएगी.
उनके सामने अपने लंड को हिलाते हुए मैं बोला- मुझे तो सिर्फ एक चूत चाहिए थी मारने को, यहां तो दो दो हैं. अब बोलो, किसकी मारूं?
यह कहते हुए मैंने अपनी पेंट और चड्डी दोनों उतार दीं. अब ऊपर से तो मैंने कोट पहना था, मगर नीचे से नंगा हो गया था.
लड़कियां भी मस्त थीं, मगर फैसला नहीं कर पा रही थीं कि कौन पहल करे.
मैंने कहा- इंशा, तू तो मेरी बेटी है, आ जा, तू आ जा पहले.
उसकी बाजू पकड़ कर मैंने अपनी ओर खींचा, तो वो नीचे को ही झुक गई और मेरे पैरों के पास ही बैठ गई. अब मेरा लंड सीधा उसके मुँह के पास था, तो मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया. बस वो तो जैसे इसी बात का इंतज़ार कर रही थी. अगले ही पल मेरा 52 साल का लंड उसकी कमसिन लौंडिया के मुँह में घुस गया.
सच में क्या मज़ा आया, कितने प्यारे और मासूम होंठ थे उसके. कम उम्र की लड़की में सच में बहुत आकर्षण होता है.
इंशा को लंड चूसते देख कर शिफा भी पास आ गई, तो मैंने उसे भी अपनी ओर खींच लिया. मैं उसको अपनी बांहों में भर कर, उसके होंठ चूसने लगा. सिगरेट और शराब की बू उसके मुँह से आ रही थी, मगर मैं तो खुद सब कुछ पीता था, तो मुझे तो और भी अच्छा लगा.
मेरे पास यही एक मौका था, तो मैंने शिफा के सारे चेहरे को चाट डाला और उसके ब्लाउज़ में हाथ डाल कर उसके मम्मे दबा दिए. उसके घाघरे में हाथ डाल कर उसकी फुद्दी, गांड सबको सहला दिया, ताकि अगर ऐन वक्त पर ये मुकर भी जाए, तो भी मुझे कोई मलाल न रहे.
शिफा को चूस कर मैंने उसको नीचे बैठाया और फिर इंशा को उठाया. अब मैंने उसके सारे बदन को सहलाया और उसको भी खूब चूसा.
अपनी बेटी जैसी लड़की को चूसने का तो अलग ही लुत्फ आया. जिसको मैंने अपनी आँखों के सामने जवान होते देखा, छोटे से बड़े होते मम्मे, चूतड़, जांघें … अब सब मेरे कब्जे में थीं. मैंने उसे खूब सहलाया.
अब गर्मी तो पहले से ही बहुत थी, तो मैंने बिना कोई और देरी किए, इंशा को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी फुद्दी में अपना लौड़ा घुसेड़ दिया. मैं सोच रहा था कि लड़की अभी छोटी है, कुंवारी होगी, मगर नहीं. वो पहले से ही चुदी हुई थी.
मैंने पूछा- इंशा, किस से सील तुड़वाई?
वो बिंदास बोली- अपने मामू के बेटे से.
फिर मैंने शिफा को पूछा- और तूने?
वो बोली- उसी से.
मैंने कहा- तो दोनों ने एक ही लड़के से सील तुड़वाई?
शिफा हंस कर बोली- और वो भी एक साथ.
मैं बड़ा हैरान हुआ- कब?
इंशा बोली- दो महीने हो गए, फुफू!
मुझे बड़ा अफसोस हुआ कि मैं इन लड़कियों की फुद्दियों को फूल नहीं बना सका. मगर मुझे चोदने को मिल गईं, ये क्या कम था.
मैंने कुछ देर इंशा को चोदने के बाद शिफा को भी घोड़ी बना कर चोदा. दोनों लड़कियां बहुत ही ज़बरदस्त चुदक्कड़ थीं. मैं एक को चोदता, तो लगता दूसरी बढ़िया है .. दूसरी को चोदता तो लगता नहीं पहली वाली ही बढ़िया थी.
मैं बार बार बदल बदल कर दोनों को चोद रहा था. खूब पेला दोनों को, खूब मज़े ले ले कर पेला. दोनों ने खूब चिल्लपों की. मगर मैंने उन पर कोई रहम नहीं किया.
फिर जब मैं फारिग हुआ, तो दोनों लड़कियों की गांडों पर अपना माल गिराया. उन दोनों ने भी मेरे रस को साफ नहीं किया, बल्कि वैसे ही अपने अपने घाघरे नीचे कर लिए और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गईं.
उसके बाद मैं भी शादी में आ गया.
अब जब बात खुल ही चुकी थी, तो मैंने उसके बाद इंशा और शिफा को कई बार चोदा. जब भी कभी मौका मिलता, मैं उन्हें बुला लेता, मगर कुछ समय बाद मेरी उन लड़कियों से कुछ खटपट हो गई.
फिर एक दिन उन दोनों ने मुझसे कह दिया कि आज के बाद वो कभी भी मेरे साथ सेक्स नहीं करेंगी.
फिर मैंने उनको उस रात की पिक्स दिखाईं, अभी वीडियो मैंने छुपा ली थी. अब वो मजबूर हो गईं और फिर बेचारी मुझसे चुदवाने लगीं.
मगर अब मैं कुछ ज़्यादा ही हैवानियत दिखाने लगा. उन नाज़ुक नाज़ुक सी लड़कियों पर अपनी हैवानियत दिखा कर ना जाने क्यों मेरे दिल को सुकून सा मिलता था.
फिर एक दिन हुआ यूं कि इंशा ने सारी बात अपनी अम्मी यानि कि मेरे साली की बीवी फरज़ाना को बता दी.
अब फरजाना ने कई बार कोशिश तो की मुझसे बात करने की, मगर बात करे कैसे. वो क्या कहती कि आप मेरी बेटी को चोदना छोड़ दो. इधर मैं तो खुद फरजाना को भी चोदने की स्कीम बना रहा था.
खैर एक दिन फरजाना ने हिम्मत कर ही ली. हम दोनों अकेले थे, तो वो बोली- इंशा कह रही थी, कुछ आपके बारे में? मैंने उसे समझाया कि रसूल फुफू तो तुम्हारे अब्बा जैसे हैं, वो तो तुम्हें बहुत चाहते हैं. मगर वो कुछ अनाप शनाप सा बोल रही थी. किसी शादी में कोई गलती हो गई, फिर फुफू मुझे तंग करने लगे हैं.
मैं समझ गया कि ये अपनी बेटी को मुझसे बचाना चाहती है. अब मैं या तो इसकी बेटी को छोड़ दूँ, या फिर इसे भी लपेटे में ले लूँ.
इतनी खूबसूरत औरत आपके सामने खड़ी हो और आपके पास उसको पकड़ने के लिए जाल भी हो, तो सैयाद क्यों किसी पर तरस खाये.
मैंने उससे कहा- देखो फरजाना, मैं तुम्हें सब सच सच बता देता हूँ. अकील की शादी में ये सब हुआ था. तुमको मैं कुछ दिखाता हूँ, तुम देखो और समझो … और फिर मुझे बताना कि मैंने क्या गलत किया.
मैंने अपनी जेब से अपना मोबाइल निकाला और उस पर फरजाना को इंशा और शिफा के साथ अपनी सभी पिक्स और वीडियो दिखा दीं.
अब जब शिफा और इंशा को मैं पहले ही चोद चुका था, तो बाद में भी चोदने में क्या दिक्कत थी.
फरजाना ने सारी वीडियो देखीं. एक वीडियो में तो उसने मुझे भी नंगा देख ही लिया था. मैंने ये भी नोटिस किया कि चुदाई के वीडियो देख कर फरजाना के चेहरे पर भी रंग बदल गया था.
मुझे एक बार लगा कि अब जैसे फरजाना ने मेरे साथ अपनी बेटी की ब्लू फिल्म देख ली है, तो अगर मैं इस पर भी हाथ डाल दूँ, तो क्या फरजाना भी मुझसे चुदवा लेगी. मगर इसमें बहुत रिस्क भी था, हो सकता है, वो मेरे मुँह पर झापड़ मार दे कि पहले बेटी को बर्बाद किया अब मेरे पर भी गंदी निगाह रखता है. मगर रिस्क तो लेना ही पड़ता है, बिना रिस्क लिए कैसे बात बन सकती है.
सो मैंने फरजाना से कहा- देखो फरजाना, एक बात गौर से देखो.
ये कहते हुए मैंने फिर से वो वीडियो चलाई.
मैं- इसमें कहीं तुम्हें लगता है कि मैंने इन लड़कियों के साथ कोई ज्यादती की है, दोनों पहले से ही दारू और सिगरेट पी रही थीं, दोनों गंदी गंदी बातें कर रही थीं. पहले से चुदी हुई थीं. मैंने भी पी रखी थी, तो खाये पिये में ये सब हो गया. अब ये देखो, जब मैं शिफा को चूस रहा हूँ, तो ये नीचे देखो, इंशा अपने हाथ में पकड़ कर मेरा लंड चूस रही है. ये देखो … ध्यान से.
मैंने जानबूझ कर फरजाना का ध्यान अपने लंड की तरफ किया. वो देख भी रही थी और शर्मा भी रही थी, मगर उसने देखने से मना नहीं किया और न ही अपना मुँह दूसरी तरफ घुमाया. जिससे मुझे लगा कि शायद फरजाना भी ये वीडियो देख कर मस्ती में आ गई है और अब इस पर हाथ डाला जा सकता है.
यही सोच कर मैंने कहा- देखो ये तो इंसानी फितरत है. अब देखो, तुमसे बात करते करते मेरा लंड भी खड़ा हो गया है.
ये कहते हुए मैंने अपनी सलवार के ऊपर से ही उसे अपना लंड पकड़ कर दिखाया. वो शरमाई, मगर मुस्कुरा भी दी.
बस उसके मुस्कुराने पर ही मैंने अपना अगला तीर चला दिया- फरजाना, अगर तुम चाहो तो ये खड़ा लंड तुम्हारा भी हो सकता है.
वो एकदम से उठी- अरे नहीं, भाईजान.
वो थोड़ा दूर जा कर खड़ी हो गई, मगर मेरी तरफ पीठ करके. मैंने आव देखा न ताव, अपनी सलवार खोली और अपने लंड को हिलाते हुए जाकर, पीछे से फरजाना को अपने आगोश में ले लिया.
वो थोड़ा सा कसमसाई- नहीं भाई जान, नहीं … छोड़ दो मुझे.
मगर मैं अब कहां छोड़ने वाला था, हां अगर एक झन्नाटेदार झापड़ मेरे गाल पर पड़ता, तो शायद मैं उसे छोड़ भी देता. मगर अब तो सिर्फ जुबानी इंकार था. बस मैंने उसे वैसे ही आगे को झुका दिया. फिर पीछे से उसका बुर्का, साया सब ऊपर उठाया और पहले उसके गोल भरे हुए चूतड़ पर एक कस कर चपत मारी. अगले ही पल अपना लंड रख कर उसकी फुद्दी में धकेल दिया. पहली बार में ही मेरा टोपा उसकी फुद्दी में घुस गया.
सारा घर खुला था, सभी दरवाजे भी खुले थे और मैं अपने ही साले की बीवी को चोद रहा था. मेरी बीवी, मेरे बच्चे या कोई और भी आ सकता था, कभी भी. मगर इस सारे खतरों को दरकिनार करके मैंने फरजाना की फुद्दी में अपना पूरा लंड डाल दिया.
वो भी साली, आराम से घोड़ी बनी रही, सामने दीवार पर अपने हाथ लगा कर लंड लेती रही.
मैंने पीछे से उसकी कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और उसके गोरे बदन को नोंचते हुए चुदाई शुरू कर दी. मुझे नहीं पता था कि फरजाना इतनी आसानी से मान जाएगी.
अब मैंने उससे पूछ ही लिया- फरजाना तुम तो यहां अपनी बेटी को मुझसे बचाने आई थीं.. और यहां तुम खुद ही मेरा लंड खाने लगीं?
वो बोली- हां आई तो मैं इसी लिए थी कि आपसे अपनी बेटी को बचा लूँ, मगर जब आपकी वीडियो देखी, तो मैंने जाना कि मेरे शौहर के पास तो कुछ भी नहीं है. आपके मुक़ाबले में वो तो बिल्कुल फिसड्डी है. चाहती तो मैं बहुत समय से थी कि कोई शानदार मर्द मुझको मिले, मगर वो शानदार मर्द मेरे घर में ही मुझे मिल जाएगा, इसका पता नहीं था.
मैंने कहा- तो मेरी जान … अब खुल के मज़े ले लो अपने घरेलू यार के लौड़े के … अब आगे भी ऐसे ही गाड़ी चलती रहनी चाहिए. इंशा की चिंता छोड़ दे, वो इसी उम्र में बहुत खेली खाई है. अब उसको मुझसे बचा लेगी, तो वो किसी और से चुदवाने लगेगी. उसकी चिंता छोड़, बस तू मुझे खुश करती रह और मैं तुझे.
फरजाना बोली- मगर मैं इंशा को क्या कहूँगी?
मैंने कहा- चल ऐसा करते हैं, इंशा को मैं कुछ नहीं कहता, मगर शिफा तो हमारे खानदान से नहीं है. तू इंशा से कह देना कि रसूल फुफू आज से तुझे कुछ नहीं कहेंगे, मगर शिफा मेरे पास आती रहनी चाहिए.
फरजाना इस बात से मान गई. उसके बाद मैं उसे उठा कर बेड पर ले गया और वहां सीधी लेटा कर मैंने पूरे जोश से उसको चोदा. पहले खूब चोदा, जब मेरा पानी निकल गया, तो उसके बाद उसे फिर से चोदा.
मैंने उसे लगातार दो बार चोदा. उसके कपड़े टाईट थे, तो वो अपने मम्मे बाहर नहीं निकाल पाई. मगर मैंने उसके मम्मे ऊपर ऊपर से बहुत दबाये.
दूसरी चुदाई में तो फरजाना ने खुद मुझे बहुत चूसा, मेरे होंठ चबा जाने तक चली गई. मेरा लंड भी चूस गई और अगली बार फिर मिलने का वादा भी कर गई.
अब मैं इंशा को नहीं चोदता, उसको बड़े प्यार से बेटी बेटी कह कर बुलाता हूँ, पर उसके साथ सेक्स की सारी बातें करता हूँ. वो भी एक दोस्त की तरह बड़ी खुल कर सेक्स की बातें करती है, क्योंकि अब मेरे लिए शिफा को वही लेकर आती है.
मैं उसकी जानकारी में शिफा को चोदता हूँ. कभी कभी मज़ाक में वो मुझसे पूछ लेती है- क्यों फुफू आज कैसा मज़ा आया?
मैं भी कह देता हूँ- बाकी सब तो ठीक है यार.. पर तेरी जैसी ज़बरदस्त नहीं है.
अभी तक इंशा को ये नहीं पता चला कि मैं सिर्फ उसे ही नहीं उसकी माँ को भी चोद रहा हूँ. सोचता हूँ, किसी दिन पता चल गया तो क्या होगा. फिर सोचने लगता हूँ कि पता चल गया, तो चल गया.. मुझे क्या? हो सकता है, इसी बिना पर मैं माँ बेटी दोनों को एक साथ चोदने का भी मज़ा ले सकूँ.
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