मस्त मराठी स्टोरीज वाचा

हेलो दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक अनोखी और उत्तेजक हिंदी सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ, जिसमें माँ की खुशी के लिए बहन से शादी और सुहागरात का रोमांच है। ये सेक्सी कहानी आपको भावनाओं और उत्तेजना के मिश्रण में डुबो देगी। मेरा नाम आरव है, और ये मेरी पहली कहानी है। मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मेरी शादी मेरी बहन से हुई। मैं पहले अपनी माँ और बहन के साथ बेंगलुरु में रहता था। मेरे पापा का देहांत हो चुका था। हमारा एक छोटा-सा बिजनेस था, लेकिन कोई रिश्तेदार हमारी मदद के लिए तैयार नहीं हुआ। इसलिए पापा के जाने के बाद माँ ने बिजनेस संभाला।

जब मेरा पढ़ाई पूरी हुई, मुझे दिल्ली में नौकरी मिली, और मैं दिल्ली आ गया। उस वक्त मेरी बहन 12वीं में थी। उसका नाम गीतू है। वो गोरी है, और उसका फिगर बहुत अच्छा है। वो स्कूल यूनिफॉर्म में स्कर्ट पहनती थी। जब मैं उसे स्कूल छोड़ने जाता था, तो सारे लड़के उसे घूरते थे। मैंने उसके बारे में कभी गलत नहीं सोचा था, और वो भी मुझे भाई की तरह प्यार करती थी।

दिल्ली आए मुझे 2 साल हो गए थे। मैंने यहाँ एक फ्लैट ले लिया था। जब बेंगलुरु में हमारा बिजनेस बंद होने वाला था, मैंने माँ से कहा कि आप दोनों दिल्ली आ जाओ। गीतू ने 12वीं पूरी कर ली थी। मैंने कहा कि मैं उसका यहाँ एडमिशन करवा दूँगा। माँ मान गईं और वहाँ सब बेचकर दिल्ली आ गईं। मैंने उनके टिकट बुक किए, और वो दिल्ली पहुँच गए।

मैं उन्हें लेने स्टेशन गया। इतने दिनों बाद उन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुआ। जब मैंने गीतू को देखा, तो बस देखता रह गया। वो 2 साल में पूरी तरह बदल गई थी। उसकी गांड, बॉल्स और कमर इतने आकर्षक हो गए थे कि कोई भी उसे देखकर पागल हो जाए। वो सेक्सी लग रही थी।

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जब वो आए, गीतू ने पिंक टॉप और ब्लैक जींस पहनी थी। वो इतनी हॉट लग रही थी कि मेरे मन में पहली बार गलत ख्याल आया। लेकिन मैंने खुद को संभाला, और हम सब घर आ गए। कुछ दिनों बाद मैंने गीतू का एडमिशन करवा दिया। माँ ने घर की सारी जिम्मेदारी संभाल ली। मैं भी खुश था। हम सब बहुत मजे करते थे। हमारी जिंदगी फिर से अच्छी हो गई थी। माँ और गीतू भी दिल्ली आकर खुश थीं। एक दिन माँ ने मुझसे कहा कि अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए, इससे उन्हें भी मदद मिलेगी। मैंने मना नहीं किया और हाँ कह दिया।

माँ खुश हो गईं। अगले दिन रविवार था। माँ ने घर पर पंडित को बुलाया। मैं घर पर था, और गीतू कोचिंग क्लास गई थी। पंडित ने मेरी कुंडली देखी और कुछ सोचने लगे।

माँ: क्या हुआ पंडितजी, कोई समस्या है?

पंडित: इसकी कुंडली ठीक नहीं है। ये लड़का बाहर की लड़की से शादी नहीं कर सकता। अगर की, तो अच्छा नहीं होगा, कुछ भी हो सकता है।

माँ: इसका कोई रास्ता तो होगा?

पंडित: इसका एक ही रास्ता है। आप इसकी शादी अपने परिवार की लड़की से करवा दें। ये इसके लिए अच्छा होगा, और ये खुश रहेगा।

माँ: लेकिन हमारे रिश्तेदारों से कोई पटता नहीं। फिर ये कैसे होगा? कोई और रास्ता तो होगा?

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तभी गीतू क्लास से घर आई। उसने फुल-साइज फ्रॉक पहना था, जो बहुत टाइट था। वो गजब की हॉट लग रही थी। मैं उसे एकटक देख रहा था। उसने सबको हेलो कहा और अपने रूम में चली गई।

पंडित: ये लड़की कौन है?

माँ: ये मेरी बेटी है। अब कॉलेज में पढ़ती है।

पंडित: अगर आपको ठीक लगे, तो इसकी शादी इस लड़की से करवा दें। इससे आपकी बेटी हमेशा आपके पास रहेगी, और आपके बेटे की जिंदगी में कोई संकट नहीं आएगा। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है। आप आराम से सोचकर मुझे बताएँ।

पंडितजी चले गए। मैं और माँ सोफे पर बैठे थे। हम दोनों चुप थे।

मैं: माँ, चिंता मत करो। सब ठीक हो जाएगा। मैं इन बातों पर यकीन नहीं करता।

माँ: नहीं बेटा, ऐसा नहीं होता। पहले ही तुम्हारे पापा चले गए। अब मैं तुम्हें खो नहीं सकती। मुझे लगता है पंडितजी सही कह रहे हैं।

मैं: लेकिन माँ, वो मेरी बहन है। मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ? ये मुमकिन नहीं है।

माँ: प्लीज बेटा, यहाँ हमें कोई नहीं जानता। इससे कोई दिक्कत नहीं होगी। प्लीज मेरे लिए मान जा। मैं तुम्हारी बहन से बात करती हूँ।

माँ ने मुझे समझाया और तैयार किया। मैंने भी हाँ कह दिया। फिर माँ गीतू के रूम में गईं, और मैं बाहर बैठा रहा। मैं दुखी था कि मुझे ऐसा करना पड़ रहा है, लेकिन थोड़ा खुश भी था कि मुझे इतनी हॉट लड़की मिलेगी। कुछ देर बाद माँ गीतू के रूम से बाहर आईं और बोलीं कि वो तैयार है। माँ अब खुश लग रही थीं।

मैं गीतू के रूम में गया।

मैं: तू खुश तो है ना? अगर तुझे कोई दिक्कत हो, तो मुझे बता।

गीतू: नहीं भैया, मैं बहुत खुश हूँ। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं तो ये सोचकर खुश हूँ कि मैं हमेशा तुम्हारे और माँ के साथ रहूँगी।

ये सुनकर मैं खुश हुआ। हम दोनों ने गले लगाया। उसके चेहरे पर स्माइल थी। मैं बाहर आया। अगले दिन माँ पंडितजी के पास गईं और शादी की तारीख ले आईं। हमने तय किया कि शादी सुबह घर पर होगी, और दिन में दिल्ली के दोस्तों के साथ पार्टी करेंगे, जो मुझे और गीतू को बहन-भाई के रूप में नहीं जानते। हमने शादी की तैयारियाँ शुरू कीं और शॉपिंग करने लगे। शादी की तारीख गीतू की परीक्षा के बाद थी। फिर शादी का दिन आ गया। उस दिन पंडितजी घर आए। मैं उनके पास बैठा था, और गीतू तैयार हो रही थी।

कुछ देर बाद माँ गीतू को लेकर आई। उसने शादी के लिए लाल कपड़े पहने थे। वो बहुत सुंदर लग रही थी। शादी के बाद हम रिसेप्शन के लिए गए, जहाँ मेरे और गीतू के कुछ दोस्त थे।

फिर मैं, माँ और गीतू घर आए। मैंने देखा कि माँ ने मेरे रूम को सुहागरात के लिए सजाया था। माँ गीतू को रूम में ले गईं, और मैं बाहर इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद माँ बाहर आईं और मुझे अंदर जाने को कहा। जब मैं अंदर जाने लगा, तो मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। ये कोई सामान्य सुहागरात नहीं थी, बल्कि मेरी बहन के साथ थी।

मैं खुशी-खुशी रूम में गया। रूम बहुत अच्छे से सजा था। गीतू लाल साड़ी में बैठी थी। वो गजब की खूबसूरत लग रही थी। मैं बेड पर बैठा और उससे बात करने लगा।

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मैं: गीतू, तू इस ड्रेस में बहुत सुंदर लग रही है।

गीतू: थैंक यू भैया।

मैं: अब मैं तेरा भैया नहीं, तेरा पति भी हूँ।

गीतू: हम्म…

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और पूछा, “क्या हुआ बेबी? तुझे अजीब लग रहा है?”

गीतू: हाँ भैया, अजीब तो लगेगा ना। लेकिन हम अब पति-पत्नी हैं। हमें अपनी सुहागरात मनानी चाहिए।

उसके ये शब्द सुनकर मैं बहुत उत्तेजित हो गया। मुझे समझ आया कि वो भी सुहागरात को एंजॉय करने के लिए तैयार है। मैंने गीतू को पास खींचा, गले लगाया और कहा, “आई लव यू डार्लिंग।” उसने भी मुझे गले लगाया।

मैंने पहले उसके गालों पर किस किया, फिर उसके होंठ चूसने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। हम दोनों एक-दूसरे में खो गए थे। मैंने उसके बॉल्स पर हाथ रखा। उसने ऐसा झटका दिया, जैसे उसे करंट लगा हो। मैं उसके बॉल्स को महसूस करने लगा।

गीतू: भैया, ये मेरा पहला किस था। मुझे बहुत मजा आया।

मैं: भैया नहीं, अब मैं तेरा पति हूँ।

मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया और उसके बॉल्स दबाने लगा।

गीतू: ओह्ह भैया, धीरे करो। मुझे तो तुम्हें भैया ही बोलना है। हमारे पास पूरी रात है।

मैंने फिर से उसे किस किया और उसके बॉल्स जोर-जोर से दबाने लगा। मैंने किस करते-करते उसके ब्लाउज के हुक खोले। उसने लाल ब्रा पहनी थी। उसके बॉल्स देखकर मैं पागल हो गया। मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके बॉल्स चूसने लगा।

गीतू: अह्ह भैया, धीरे करो। दुख रहा है।

मैं: इतने सेक्सी बॉल्स हैं तेरे गीतू, कंट्रोल नहीं होता।

मैं एक-एक करके उसके बॉल्स चूसने लगा। अब गीतू मजा लेते हुए अह्ह… उह्ह… आवाज करने लगी। उसके निप्पल्स कड़क हो गए थे। मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और पूरी तरह नंगा हो गया। गीतू मेरे लंड की तरफ नहीं देख रही थी, शायद शरमा रही थी।

मैं उसके ऊपर गया और उसकी सेक्सी नाभि पर किस करने लगा। मैं उसके बॉल्स दबाने लगा। अब गीतू को नशा चढ़ रहा था। वो आह्ह… आवाज निकाल रही थी। मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। अब वो सिर्फ लाल पैंटी में थी। मैंने उसकी जाँघों पर किस करना शुरू किया।

मैंने उसके पैरों पर किस किया, लेकिन अभी उसकी पैंटी को हाथ नहीं लगाया था। उसकी पैंटी पहले से गीली हो चुकी थी। मैंने उसे किस करते-करते उसकी पैंटी पर हाथ रखा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर किस किया।

गीतू: भैया, ये क्या कर रहे हो?

मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसे उतार दिया। वाह, क्या मस्त चिकनी चूत थी उसकी। एकदम क्लीन शेव थी। उसकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं। उसकी छोटी-सी गुलाबी चूत मेरे सामने थी। मैंने बिना वक्त गँवाए अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और चूसने लगा।

वो आह्ह… करने लगी और अपने बॉल्स दबाने लगी। “अह्ह… उह्ह… बस करो भैया, मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकती।”

दोस्तों, वो अब पागल हो चुकी थी। वो अपनी चूत को मेरी जीभ की तरफ कर रही थी और मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थी। मैंने लंबे वक्त तक उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदा। फिर हम 69 पोजीशन में आए और दोनों ने एक-दूसरे की प्यास बुझाई। मैंने उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटा। वो मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी। वो चिल्ला रही थी, “ओह्ह… उम्म्म… येस्स…” मैं पूरे जोश में उसकी चूत चाट रहा था। अचानक उसने मेरा सिर जोर से दबाया और सारा रस छोड़ दिया। मैंने वो पी लिया और उसे फिर से किस करने लगा।

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5 मिनट तक उसकी चूत चाटने के बाद वो कंट्रोल से बाहर हो गई। वो मेरा सिर अपनी चूत में दबाने लगी और कहने लगी, “मुझे चोद दो प्लीज।” लेकिन मुझे स्लो सेक्स पसंद है। मैं खड़ा हुआ और अपना लंड उसके मुँह में डाला। उसे खाँसी आने लगी। उसने कहा कि उसे ये पसंद नहीं। मेरे बहुत कहने पर उसने फिर से लंड चाटना शुरू किया। 10 मिनट बाद मैंने भी अपना पानी छोड़ दिया। फिर मैंने उसे किस किया और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने लंड उसकी चूत पर रखा। वो डरने लगी और बोली, “दुखेगा, रहने दे।” लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था?

मैंने मक्खन लिया और अपने लंड पर लगाया। उसकी चूत पर भी लगाया। मैंने लंड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा, लेकिन लंड फिसल गया। 3-4 कोशिशों के बाद लंड थोड़ा अंदर गया। फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड आधा अंदर चला गया। वो चीखने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गए। वो बोली, “निकाल दो, बहुत दुख रहा है।” लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था?

मैंने उसके बॉल्स दबाने और चूसने शुरू किए। 2 मिनट बाद मैंने कहा, “अब और इंतजार नहीं कर सकता।” मैंने पूरा लंड अंदर डाल दिया। वो चीखने लगी, लेकिन मैं नहीं रुका। मैंने लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। वो धीरे-धीरे शांत हो गई और मेरा साथ देने लगी। हमने बहुत जोश में चुदाई की और हर स्टाइल आजमाया। उस दिन मैंने उसे खूब चोदा। 20 मिनट बाद मेरा पानी निकला, और हम वैसे ही सो गए।

15 मिनट बाद वो उठी और मुझे किस करने लगी। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने कहा, “अब तेरी गांड की बारी है।” वो रोने लगी और मना करने लगी। लेकिन मैंने उसे घोड़ी बनाया, लंड पर मक्खन लगाया और उसकी गांड चोद दी। वो अब ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। वो बार-बार गिर रही थी।

मैंने स्टाइल बदली और उसके दोनों पैर फैलाकर फिर से लंड उसकी गांड में डाला। कुछ देर बाद वो बोलने लगी, “येस भैया, फक मी, फक मी हार्ड, डीप फक मी।” मैं उसकी गांड चोदते हुए उसके बॉल्स दबा रहा था। पूरे रूम में ठप-ठप की आवाज गूँज रही थी।

मेरा पानी उसकी गांड में निकलने वाला था। चूँकि ये मेरी सुहागरात थी, मैं उसके अंदर पानी छोड़ना चाहता था। मैंने कहा, “बेबी, मैं कमिंग हूँ।” वो बोली, “भैया, चोदो, और चोदो।” मैंने उसकी गांड अपने वीर्य से भर दी। हम बेड पर एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। हमने उस रात अलग-अलग स्टाइल में सेक्स किया और नंगे ही एक-दूसरे को गले लगाकर सो गए। सुबह माँ ने दरवाजा खटखटाया, तो हमारी नींद खुली। गीतू मुझे स्माइल दे रही थी। वो संतुष्ट लग रही थी। हमने किस किया, बेड से उतरे और कपड़े पहने।

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