मस्त मराठी स्टोरीज वाचा

मम्मी की गलती पड़ गई फायदे में। छुट्टी में मामा के पास गया था, तब की बात है। गाँव में गर्मी की छुट्टी में जाना मेरे लिए स्वर्ग का सुख था। बहुत पहले जब मैं स्कूल में था, तब नियमित रूप से मामा के पास जाता था। लेकिन कॉलेज में जाने के बाद उसमें रुकावट आ गई। फिर कई साल मुझे जाने का मौका नहीं मिला।

लेकिन उस बार सब कुछ अच्छे से जुट गया और मैं मामा के पास जाने के लिए निकल पड़ा। मामा के घर मामा और मम्मी दोनों ही रहते थे। मम्मी से मिले हुए बहुत साल हो गए थे। उसने भी मेरे आने की खबर सुनकर अच्छा खाना बनाकर रखा था। मम्मी को इतने सालों बाद देख रहा था, इसलिए मेरी आँखें फिरने की हालत में थीं। इसका कारण भी वैसा ही था।

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मम्मी भले गाँव में रहती थी, लेकिन उसे देखकर बिल्कुल नहीं लगता था कि वो गाँव की लड़की है। दिखने में जितनी अच्छी थी, रहने में भी उतनी ही शानदार थी। हालाँकि वो हमेशा साड़ी पहनती थी, लेकिन वो साड़ियाँ अच्छी होती थीं। हमेशा सलीके से साड़ी पहनने की उसकी खास शैली की वजह से उसके शरीर के सारे अंग उभरकर दिखते थे।

उसे देखकर मैं पागल हो गया। उसकी वो कमनीय देहयष्टि बेहद मादक थी। उसकी छाती का उभार ऐसा था मानो किसी जवान लड़की की छाती हो। उसके उरोज ऐसे लगते थे जैसे छोटा फणस हो। उसे देखकर मेरा लंड नाचने लगा। उसकी नज़र मुझे कुछ अलग ही लगी। लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा।

मम्मी का नाम सीमा था। उसका और मेरा बहुत अच्छा जमता था। इसलिए हम दोनों खूब मस्ती करते थे। उसे शहर के बारे में बहुत आकर्षण था। इसलिए वो घंटों मुझसे शहर की बातें करती थी। मेरे से तरह-तरह की जानकारी लेती थी। मामा ज्यादातर बाहर ही रहते थे, इसलिए हम दोनों घर पर आराम से वक्त बिताते थे।

बात करते-करते हम एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए थे। मामा बहुत सादा था, इसलिए सीमा की इच्छाएँ पूरी करने में वो कम पड़ता था। इस वजह से उसकी मानसिक परेशानी होती थी। लेकिन मेरे आने के बाद वो अपना मन मेरे सामने खोलने लगी। अपनी इच्छाएँ मुझे बताकर वो हल्का महसूस करती थी। हम अच्छे दोस्त भी बन गए थे।

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दिन बीतते गए और हमारी नज़दीकियाँ बढ़ती गईं। उसकी नज़र बहुत बदल गई थी। वो मेरे शरीर से सटने भी लगी थी। मुझे ये सब महसूस हो रहा था।

एक बार मामा काम के लिए बाहर गया था। करीब पंद्रह दिन तक वो आने वाला नहीं था। मैं और सीमा घर पर अकेले थे, इसलिए बहुत आराम में थे। उस दिन उसने बेहद मादक साड़ी पहनी थी। बहुत पारदर्शी उस साड़ी से उसके शरीर के कुछ हिस्से साफ दिख रहे थे। बेहद गोरी सीमा अपने गोरे शरीर का प्रदर्शन जानबूझकर कर रही है, ऐसा मुझे लगा।

वो काम कर रही थी और मैं पास में उसके साथ गप्पे मार रहा था। बात करते-करते वो बहुत लाड़ में आ गई थी। बात करते-करते वो बीच-बीच में मुझे अपने हाथ से चपट मार रही थी। उसके स्लीवलेस ब्लाउज से उसके गोरे हाथ मुझे ललचा रहे थे। अगर बाहर वो इतनी गोरी है तो अंदर कितनी गोरी होगी, इसका अंदाज़ा मैं लगा रहा था।

उसकी साड़ी बार-बार नीचे सरक रही थी। नीचे सरकते ही उसकी छाती का उभार मुझे दिखता था। ब्लाउज का गला इतना बड़ा था कि उसमें से उसके उभारों की दरार साफ दिख रही थी। इतने बड़े गले का ब्लाउज उसने पहले कभी नहीं पहना था, ऐसा मैंने देखा नहीं था। इसलिए मैं उसकी छाती की तरफ नज़र गड़ाकर देख रहा था। वो मुझे बेहद मादक लग रही थी।

बात करते-करते वो मुझे चपट मार रही थी, तभी एक बार गलती से उसका हाथ मेरे लंड से टकरा गया। लंड से मतलब मेरी गोटियों से। वो बहुत नाज़ुक हिस्सा होता है लड़कों का। इसलिए उसके हाथ लगते ही मुझे तेज़ दर्द हुआ। मैंने अपने हाथ से लंड और गोटियाँ पकड़कर नीचे झुककर उस दर्द को रोकने की कोशिश करने लगा।

“आह, मर गया अब,” ऐसा कहकर मैं बाहर भागा। उसे अपनी गलती समझ आई और वो मेरे पीछे आ गई।

“सॉरी सॉरी,” कहते हुए वो मुझसे माफी माँगने लगी।

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मैं अभी भी अपना लंड पकड़े हुए था, ये देखकर वो बोली, “दिखा जरा, क्या हुआ?” ऐसा कहकर उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और हटाया। मेरे लंड को उसने झट से पकड़ लिया और हल्के से पकड़कर बोली, “दिखा, क्या हुआ है, दिखा।”

उसने मेरा लंड पकड़ा तो सही, लेकिन मेरे लिए ये अप्रत्याशित था। उसके हाथ के स्पर्श से मेरा दर्द कब का खत्म हो गया और मेरा लंड फूल गया। आखिर एक औरत के हाथ का स्पर्श था वो।

उसने मेरी शॉर्ट्स थोड़ी नीचे खींची और मेरा लंड बाहर निकाल भी लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। लेकिन मैंने बिल्कुल विरोध नहीं किया। मैंने जो चल रहा है, उसे चलने देने का फैसला किया। मेरा लंड सख्त होकर बाहर आते ही वो बोली, “बाप रे, कितना बड़ा है रे तेरा लंड? या मेरे हाथ लगने से इतना बड़ा हो गया? बता न मुझे।”

“नहीं मामी, उतना ही है वो,” मैंने ऐसा कहते ही वो मेरी तरफ देखकर हँसी और बोली, “रुक, तेरा दर्द अभी रोकती हूँ।”

ऐसा कहकर उसने मेरी शॉर्ट्स पूरी तरह नीचे उतार दी और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी। उसके हाथ का स्पर्श होते ही मेरा लंड सख्त हो गया और डोलने लगा। वो बोली, “देख अब कैसा लग रहा है तुझे? गया दर्द या अभी बाकी है?”

मैंने जानबूझकर उससे कहा, “नहीं, अभी थोड़ा दर्द है।” उसे मेरे कहने का मतलब समझ आया होगा, ऐसा मुझे लगा। उसने तुरंत मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। उसके इस चूसने से मेरा लंड बहुत सख्त हो गया। उसकी नसें दिखने लगीं। मैं बेकाबू हो गया और उसके उस ओरल का मज़ा लेने लगा। अनुभवी मुँह में मेरा लंड गया था न।

वो नीचे बैठी थी और लगातार मेरा लंड चूस रही थी। मैं अपने कमर को आगे-पीछे करके जितना हो सके लंड अंदर डालने की कोशिश कर रहा था। वो भी अब गरम हो गई थी। वो पागल की तरह मेरे लंड को खा रही थी। उसके बाल पकड़कर मैं उसके मुँह को जोर-जोर से आगे-पीछे करके लंड चुसवा रहा था। मेरा लंड उसकी थूक से पूरा गीला हो गया था।

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थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और बेडरूम में ले गया। बिस्तर पर उसे पटक दिया और उस पर टूट पड़ा। जिस छाती को मैं अब तक घूरता था, उस भरी छाती पर टूट पड़ा। उसका ब्लाउज मैंने थोड़ा सा फाड़कर ही उतार दिया और उसके कबूतरों को आज़ाद कर दिया। उसके भूरे निप्पल्स को मुँह में लेकर मैं ज़बरदस्त ताकत से चूसने लगा, दाँतों से पकड़कर खींचने लगा। उसके निप्पल्स बहुत बाहर आ गए थे।

हम दोनों मस्ती में डूब गए थे। उसकी साड़ी उतारकर मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया। उस नरम गोरे शरीर को देखकर मैं लालच से भर गया। उसकी जाँघें फैलाकर मैंने उसकी गुलाबी चूत में अपनी जीभ डाली। सरसराकर उसकी चूत का फड़फड़ाता हुआ मैं चाटने लगा। उसने मेरा सिर अपने हाथों में पकड़ा और जोर से चूत चाटने को कहा। मैंने और तेज़ी से उसकी चूत चाट डाली।

फिर मैं उठा। अपना बड़ा हथियार उसकी चूत में घुसाया। ज़बरदस्त रफ्तार से मैं अपनी कमर आगे-पीछे हिलाने लगा। उसकी अनुभवी चूत में मेरा सख्त लंड अंदर-बाहर होने के घर्षण से हम दोनों पागल हो गए थे। कचकच करते हुए मैं उसकी चूत पर उछल रहा था और वो उसी ताकत से मुझे जवाब दे रही थी। उसकी चूत मैंने फाड़ डाली थी।

लगातार आधे घंटे मैंने उसे ठोक-ठोक कर चोदा और मेरा चरम क्षण आया। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में दिया। वो बेकाबू होकर उसे चूसने लगी और तभी उसमें से वीर्य का फवारा निकला। उसका मुँह मेरे वीर्य से सन गया। उसने सारा वीर्य पी लिया और हम शांत हो गए। इस तरह उस दिन से मैं मम्मी को नियमित रूप से चोदने लगा था।

आगे पंद्रह दिन मामा नहीं था, तो मैंने दिन-रात मम्मी को ठोक-ठोक कर चोदा। उसे मेरे जैसा जवान लड़का चोदने को मिला और वो भी घर में ही, इसलिए वो बहुत खुश थी। मुझे भी मम्मी जैसा कड़क माल उड़ाने को मिला, तो मैं भी पूरे जोश में था। हम एक-दूसरे को जो चाहिए वो सारा संभोग सुख दे रहे थे।

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