मस्त मराठी स्टोरीज वाचा

नमस्कार दोस्तों,

माँ का रूप अब मेरे सामने आ गया था, बस उनका लाइव शो देखने को नहीं मिला था।

रात को सब सो गए थे, तभी मुझे आवाज़ से नींद खुली। वह आवाज़ माँ-पापा के बात करने की थी, लेकिन अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था।

पापा – “पुष्पा (माँ का नाम), दे ना ग।”

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माँ – “मेरा पेट दुख रहा है, कल देती हूँ।”

पापा – “थोड़ी देर ही तो करूँगा ना ग।”

माँ – “थोड़ी देर करके मेरा नहीं भरता, सो जा चुपचाप।”

पापा बहुत आग्रह कर रहे थे, लेकिन माँ ने चुदवाया ही नहीं। बेचारे उठकर बाहर चले गए।

अगले दिन दोपहर का वक्त था। सुरेश (पड़ोसी काका) आज घर पर ही थे। उन्होंने माँ को आवाज़ दी, तो माँ फटाक से उनके पास चली गई। मुझे उनका सेक्स देखना था, इसलिए मैं धीरे से उनके घर में घुसी और कान लगाकर बेडरूम के पास गई।

सुरेश – “पुष्पा, कब तक इंतज़ार करवाएगी? आज खास तेरे लिए छुट्टी ली है। जल्दी आना था ना, देख कोई कितनी बेसब्री से तेरी राह देख रहा है।”

उनकी बात सुनकर मैंने अंदर झाँका, तो वे पूरी तरह नंगे बैठे थे और अपना लंड हाथ में लेकर सहला रहे थे। जीवन में पहली बार लंड देखा था और वह भी इतना बड़ा।

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माँ – “हाँ रे मेरे राजा, पता है तुम दोनों मेरी राह देख रहे थे, लेकिन काम तो निपटाने पड़ते हैं ना।”

सुरेश – “तो चल, जल्दी आ, नंगी हो और इसकी सेवा कर।”

माँ – “हाँ तो आई ही… इनकी सेवा करने के लिए ही रात को पति को चुदवाया नहीं।”

ऐसा कहकर माँ ने साड़ी उतारी और ब्लाउज़ और पेटीकोट भी फेंक दिया। फिर नीचे बैठकर उनका लंड चूसने लगी। यह देखकर माँ के प्रति और घृणा हो रही थी, लेकिन सामने का दृश्य अच्छा लगने लगा था। माँ साड़ी में जितनी साधारण दिखती थी, उतनी ही जबरदस्त माल नंगी दिख रही थी।

दस मिनट तक खूब चूसने के बाद वह ऊपर आई और उन्हें किस करने लगी। सुरेश काका उसे गले लगाकर उसके नितंब दबा रहे थे। माँ उनके दबाने से सिहर रही थी। फिर उन्होंने एक हाथ नितंब पर रखा और दूसरा हाथ माँ के स्तनों पर ले गए और दबाने लगे। ऊपर से किस चल रही थी।

माँ – “तुम्हारे साथ रोमांस करने में बहुत मज़ा आता है, वरना मेरा पति साड़ी ऊपर करके बस ठोकता है, और कुछ करता ही नहीं।”

सुरेश – “तू है ही जबरदस्त माल, तो रोमांस भी जबरदस्त चाहिए ना।”

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माँ – “बस हो गया अब… दे मुझे अब तेरा लंड… मेरा पाझर खूब फूट रहा है… रोक इसे। चोद जल्दी।”

माँ की यह बात सुनकर और उनका रोमांस देखकर मैं नीचे से गीली हो गई थी। अंदर से सिहरन हो रही थी।

माँ को बेड पर लिटाकर उन्होंने अपना लंड उसकी योनि के पास सेट किया और एक जोरदार धक्का दिया। पूरा लंड अंदर घुस गया और माँ चिल्लाई, “आसाई ग… मर गई।”

माँ – “तुम्हारा यह घुसाना मुझे बहुत पसंद है। पहले धक्के में ही जान निकाल देते हो… आआआ घुसाओ और… हाआआ।”

सुरेश – “हाँ पुष्पा… तेरी सारी पसंद मैं जानता हूँ… ले धक्के… ले… जितने चाहिए। आआआ, झवाड़ी कहीं की… ले और…” जोर से धक्के देते हुए उन्होंने अब हाथ भी चलाना शुरू किया और उसके स्तनों को दबाने लगे।

माँ को अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, लेकिन धक्के और स्तनों पर दबाव को वह एंजॉय कर रही थी और और जोर से करने को कह रही थी…

माँ – “सुरश्या, मार ना जोर से… पीस मेरे स्तन… तेरी बेटी को दूध दिया है… दूध का उपकार चुकता कर… चोद जोर से हरामी… झवाड़े, मार…”

उन दोनों को किसी की परवाह नहीं थी। इतने बेसुध होकर जंगली की तरह चुदाई कर रहे थे और अब मेरी भी इच्छा हो गई थी चुदवाने की। नीचे पूरी तरह पानी-पानी हो गया था।

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सुरेश – “पुष्पे, मेरा छूटने वाला है। कहाँ चाहिए, मुँह में या चूत में… जल्दी बता…”

माँ – “मार चूत में… जोर से चूत में ही छोड़… मैं आई… आआआआआ,” कहते हुए माँ ने उन्हें जोर से गले लगाकर पकड़ लिया। काका भी धक्के देकर शांत हो गए और वैसे ही लेट गए।

मैं भी जल्दी से भाग आई और सोचने लगी कि किसके साथ चुदवाऊँ। फिर मुझे पापा का ख्याल आया, लेकिन क्या वे मुझे चोदेंगे?

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