सुबह आशा उठी। रात को देखा हुआ सब कुछ उसकी आँखों के सामने घूम रहा था। उसका पति उसे इतना सुख कभी नहीं दे पाया था, जितना सुख उसने अपनी बहन को लेते हुए देखा था। उसे भी वो सुख चाहिए था। लेकिन क्या करती, पति मुंबई में था और अभी 15 दिन उसे गाँव में बिताने थे।
लेकिन एक बार आग लगी तो उसे जंगल की आग बनते देर नहीं लगती। वो 15 दिन क्या, 2 दिन भी रुकने की मनःस्थिति में नहीं थी। सुबह नहाने के बाद उसने पिंट्या को उठाया और उसे नहाने को कहा।
वो शांता के पास गई।
“शांता, कल रात घर से आवाज़ें आ रही थीं,” ऐसा कहते ही शांता ठिठक गई।
“कैसी आवाज़ें? मुझे नहीं पता बहन,” शांता बोली।
“देख शांता, मैंने सब अपनी आँखों से देखा है,”
ये सुनते ही शांता आशा के कंधे पर सिर रखकर फूट-फूटकर रोने लगी।
“क्या हुआ बहन? क्यों रो रही है?” आशा ने पूछा।
“क्या बताऊँ आशा, तुझे तो पता ही है, हमारे ये पिछले 4 सालों से बीमार हैं। दिन-रात उनकी सेवा करनी पड़ती है। ऊपर से बेटे की भी देखभाल। फिर खेती के काम तो हैं ही। अच्छा हुआ ये दिन्या नौकर के रूप में मिला, उसकी काम में बहुत मदद मिलती है।
मैं उनकी सेवा, बेटे का सब कर सकती हूँ, लेकिन मेरी ज़रूरतें कौन पूरी करेगा?
वो तरुण दिन्या इसमें क्या काम का?”
“लेकिन शांता, किसी को पता चल गया तो?”
“घर की कोई बात किसी को नहीं पता चलेगी,” ऐसा कहकर शांता अपने पति के पास गई और उन्हें दवा दी।
बाहर आने के बाद आशा बोली, “शांता ताई, तेरा खेल देखकर मुझे भी कुछ-कुछ हो रहा है,” ऐसा कहकर आशा गालों में हँसी।
“वो मुझे समझ गया। तेरी आँखों में वासना की आग मैंने देखी है।
देख आशा, तू दिखने में इतनी सुंदर है कि कोई भी तेरे साथ संबंध बनाने को तैयार हो जाएगा। लेकिन दिन्या नहीं, वो मेरा गाड़ी है। उसके मुँह को तेरी चटक लग गई तो वो मुझे भूल जाएगा। इसलिए उसका ख्याल छोड़ दे।
लेकिन पक्या भारी है। उसकी जुताई की तरकीब गज़ब की है। उसका हल गहराई तक जाता है।”
“तुझे कैसे पता? उसने तेरी ज़मीन जोती है क्या?” आशा ने पूछा।
“हाँ, दिन्या से पहले वही मेरे खेत को पानी देता था,” ऐसा कहकर शांता गालों में हँसी।
अगले दिन सारे काम निपटाकर आशा शांता मौसी से बोली, “मैं ज़रा खेत से सब्ज़ी ले आती हूँ, दोपहर को काम आएगी,” ऐसा कहते हुए आशा पक्या की ओर देख रही थी।
पक्या चाय पी रहा था। कमर पर टोकरी रखकर वो मटकते हुए चली गई। वो उसकी लचकती कमर और नितंबों को देखता रहा। बेहद नक्शेदार शरीर था उसका। पक्या ने मन में सोचा, अब मिशन कामयाब करना है। इसे अपने नीचे लेना ही है, यही वो वक्त था। पक्या गुरुओं को लेकर खेत पर चला गया।
खेत पर ज़्यादा कोई नहीं था। आशा अकेले सब्ज़ी तोड़ रही थी। पक्या गुरुओं को लेकर उसके पास गया।
पक्या वहाँ पहुँचा जहाँ आशा खुरप रही थी। उसे देखकर वो बोली, “यहाँ क्यों आए?”
पक्या ने पूछा, “क्या तुम्हारे खेत में नहीं आना चाहिए?”
“हाँ, लेकिन किसी ने देख लिया तो क्या कहेगा?”
उसने उसे घूरकर पूछा, “क्या कहेगा?”
वो शरमा गई और बोली, “कुछ नहीं।”
खुरपते-खुरपते दोनों बातें करने लगे। पक्या उसके ब्लाउज़ की गले से दिख रहे पीले-चमकीले बॉल्स को देख रहा था। वो भी बीच-बीच में ऊपर देखकर उसे निहार रही थी।
अब इस मौके को भुनाना ज़रूरी था।
आशा चलते-चलते पक्या से बात कर रही थी। बात करते-करते एक पत्थर पर पैर रखते ही उसका पैर फिसला और धप्प से वो नीचे गिर पड़ी।
और चीख उठी,
“आ… आई गं…”
पक्या ने आशा के गोरे चिकने नाज़ुक हाथ को पकड़ा और उसे उठाने की कोशिश की। वो कराह रही थी।
“आह… मेरा पैर मुरझा गया है… आ… आई गं… बहुत दर्द हो रहा है… उठ नहीं पा रही।”
उसने एक पेड़ के पास बैठ लिया। तब पक्या की नज़र उसके मादक शरीर पर फिर रही थी। आशा ने काले रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी थी, जिससे उसकी फिगर साफ दिख रही थी। इससे आशा बहुत मादक लग रही थी। इसलिए उसकी भरी हुई छाती को पक्या भूखे की तरह देख रहा था। लेकिन आशा दर्द से कराह रही थी।
पक्या बोला,
“आशा, चल उस झोपड़ी में आराम कर, मैं तुझे वहाँ छोड़ता हूँ।”
आशा बोली,
“ठीक है पक्या…”
पक्या ने आशा की चिकनी कमर के चारों ओर हाथ डाला और उसे खड़ा किया। पक्या के हाथ के स्पर्श से आशा सुखी हो गई। पक्या के हाथों का मर्दाना स्पर्श बहुत कुछ कह रहा था।
पक्या ने आशा की गोरी कमर में हाथ डालकर उसे खड़ा किया और बोला,
“वाहिनी… मेरी गर्दन में हाथ डालो।”
आशा ने “हं…” किया और पक्या की गर्दन में हाथ डाला।
पक्या आशा के स्पर्श से अचंभित हो गया था। क्योंकि पक्या का हाथ आशा की गोरी कमर पर था, धीरे से पक्या उसकी कमर दबा रहा था। और उसका हाथ पक्या के कंधे पर होने की वजह से आशा की भरी हुई छाती का स्पर्श पक्या को हो रहा था। उसका दायाँ स्तन पक्या को रगड़ रहा था। पक्या बहुत खुश था, मन में लड्डू फूट रहे होंगे। इसलिए एक पैर से लंगड़ाते हुए पक्या उसे पकड़कर झोपड़ी में ले गया।
खाट के पास ले जाकर पक्या ने उसे छोड़ा।
आशा तुरंत खाट पर गिर पड़ी और कराहने लगी।
“आ… बहुत तकलीफ हो रही है पक्या…
आ… आई गं…”
आशा बिस्तर पर पड़ी तो पक्या उसका मादक शरीर निहार रहा था। क्योंकि बिस्तर पर उसका रूप बहुत मादक हो गया था। किसी भूखे के लिए वो स्वर्ग ही समझा जाए।
आशा के भरे हुए स्तनों की ओर भोगने वाली नज़रों से देखते हुए पक्या बोला,
“वाहिनी… मुझे तुम्हारा पैर देखने दो।” आशा ने सिर्फ़ सिर हिलाया।
आशा वैसे ही खाट पर पड़ी थी।
पक्या ने धीरे-धीरे उसके पैर दबाना शुरू किया।
तब आशा ने तुरंत कराहना शुरू कर दिया।
“आह… आई गं…
तकलीफ हो रही है पक्या…
आ… आउच…
आह ह ह…”
पक्या बोला,
“ठीक है… धीरे करूँगा।”
ऐसा कहकर पक्या उसके पैर को, टखने को धीरे-धीरे प्यार से सहलाने लगा।
उसका स्पर्श उसे भी अच्छा लग रहा था।
पक्या आशा के पैर को सहला रहा था, उसे गर्म कर रहा था। ऐसा करते-करते उसका मादक शरीर निहार रहा था।
उसके शरीर के हर एक अंग पर उसकी नज़र पड़ रही थी। तभी आशा बोली,
“पक्या, घुटने को भी थोड़ा चोट लगी है, वहाँ भी देखो…”
ऐसा कहकर आशा ने अपनी काले रंग की साड़ी और पेटीकोट घुटने तक ऊपर कर लिया।
आशा का खुला चिकना गोरा पैर देखकर पक्या ने झट से उसका पैर पकड़ा और सहलाने लगा।
पक्या घुटने तक उसके पैर को मन लगाकर सहला रहा था। उसके दोनों हाथ उसके खुले पैर पर फिर रहे थे, और उसे गर्म कर रहे थे। पक्या बहुत जोश में उसके खुले पैर को रगड़ रहा था।
उसका मर्दाना स्पर्श उसे पागल कर रहा था। आखिरकार उसे कंट्रोल नहीं हुआ, क्योंकि उसके मादक स्पर्श ने उसे दीवाना कर दिया था।
पक्या घुटने तक उसके पैर को रगड़ रहा था।
तब आशा ने उसके दोनों हाथ पकड़े और अपनी दायीं जाँघ पर ले जाकर दबाए और छाती ऊपर उठाकर सेक्सी भाव दिखाते हुए आवाज़ निकाली,
“आह पक्या…
हाँssss… आह ह ह…”
पक्या समझ गया कि मादा भोगने के लिए तैयार हो गई।
पक्या ने वैसे ही अपने मज़बूत हाथों से उसकी मादक गोरी चिकनी जाँघ को सहलाना शुरू किया…
और एक पल में उसके मादक शरीर पर पक्या ने झपट्टा मारा।
आशा खाट पर और पक्या उसके ऊपर।
उसके मज़बूत शरीर के नीचे आशा दब गई और उसकी मादक छाती उसके मज़बूत सीने के नीचे रगड़ने लगी।
उसके शरीर के गर्म स्पर्श से पक्या पागल हो गया।
उसकी उम्र 50 साल थी और वो 38 की।
फिर भी उसका शरीर मज़बूत था। पत्नी जल्दी मर जाने की वजह से पक्या बहुत भूखा था।
उसके जैसी मादक औरत अचानक मिलने की वजह से वो भूखे की तरह आशा के कोमल रसीले शरीर पर टूट पड़ा।
उसका वज़न 55 किलो था और उसका 70 किलो।
उसके वज़न को आशा ने आसानी से संभाल लिया।
पक्या जल्दी-जल्दी उसके कोमल मादक शरीर पर चुम्बन लेते हुए उस पर टूट पड़ा था।
और आशा उसे साथ दे रही थी। आशा नीचे से आवाज़ निकालकर उसे उत्तेजित कर रही थी।
“आह ह ह… हाँ…
आउच…
उम्मम्म… आह ह ह…”
उसके चीखने से उसे और जोश आ रहा था।
उसने उसके हाथ पकड़ लिए और उसके रसीले मादक लाल चटक होंठों के चुम्बन लेने लगा। उसका निचला होंठ अपने होंठों में पकड़कर चूम रहा था।
आशा भी उसका ऊपरी होंठ अपने मुँह से पकड़कर उसे चूमने लगी।
चुम्बन लेते वक्त “मच… मच…” की आवाज़ आ रही थी।
बीच में पक्या अपनी जीभ उसके मुँह में डालता तो आशा उसकी जीभ अपने मुँह में पकड़कर चूसती।
उसके मादक होंठों को पक्या ने अच्छे से चूम लिया और उसके होंठों की लाल चटक लिपस्टिक खा ली।
अब पक्या उसके गालों पर, माथे पर, ठुड्डी पर, गर्दन पर चुम्बनों की बरसात कर रहा था। आशा अपने मादक हाथ उसके पीठ पर फिरा रही थी। कभी उसके सिर पर, बालों में फिराकर उसे साथ दे रही थी। उसके मर्दाना शरीर के नीचे उसे बहुत मज़ा आ रहा था… पक्या ने उसकी साड़ी का पल्लू खींचा, लेकिन वो निकला नहीं। आशा बोली,
“पक्या, 1 मिनट रुको, मेरी साड़ी फाड़ दोगे। मेरी साड़ी पिन की हुई है।”
आशा ने अपने हाथों से साड़ी की पिन निकाली। पक्या ने तुरंत उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर साइड में किया… उसकी भरी हुई रसीली छाती उसके सामने थी। ब्लाउज़ में भरे हुए मादक स्तन देखकर पक्या ने तुरंत उसके ब्लाउज़ पर हाथ रखा और उसकी छाती सहलाने लगा। सहलाते-सहलाते दबाने लगा, मसलने लगा। आशा नीचे से अपनी मादक छाती ऊपर उठाकर चीख रही थी। तब उसका अवतार बहुत सेक्सी लग रहा था।
उसका मादक शरीर और उसकी जानलेवा अदाओं ने उसे पागल कर दिया।
पक्या पूरे जोश में आकर उसके टपोरे, ब्लाउज़ में भरे हुए मादक स्तनों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। दोनों हाथों में दो स्तन पकड़कर बहुत ज़ोर से रगड़ रहा था, मसल रहा था।
आशा के आवाज़ शुरू थे।
“आह पक्या… हाँsss आह… आउच…”
स्तनों को ज़ोर से दबाने से तकलीफ हो रही थी, लेकिन पक्या जोश में दबा रहा था। उसे उसका अलग मज़ा मिल रहा था।
आशा की मादक छाती को रगड़ते हुए पक्या उस पर चुम्बनों की बरसात कर रहा था।
आशा मंत्रमुग्ध होकर उसे साथ दे रही थी।
पक्या ने उसके पेट से पल्लू और साइड किया और उसके गोरे-गोरे मादक पेट पर चुम्बन लेना शुरू किया।
उसके होंठ उसके पेट पर, नाभि पर फिर रहे थे और उसके हाथ उसके स्तनों को रगड़ रहे थे।
उसकी गीली जीभ उसके पेट पर फिर रही थी। पक्या अपनी जीभ उसकी नाभि में डालकर घुमा रहा था, तब उसे अलग मज़ा आ रहा था।
पूरा शरीर रोमांचित हो रहा था।
उसके गोरे पेट पर गीली जीभ फिराते हुए पक्या ने उसे पलट दिया।
ब्लाउज़ बैकलेस होने की वजह से उसकी पूरी पीठ खुली थी।
इसलिए पीछे से आशा बहुत मादक लग रही थी।
पक्या ने तुरंत उसकी खुली मादक पीठ पर जीभ फिराना शुरू किया।
पक्या ने चाट-चाटकर उसकी पूरी पीठ गीली कर दी।
आशा बहुत गर्म हो रही थी, नीचे आवाज़ निकाल रही थी।
“आह…”
जल्दबाज़ी में पक्या ने उसके ब्लाउज़ की डोरी खोली और फिर जोश में उसकी गोरी मादक पीठ पर चुम्बनों की बरसात शुरू कर दी…
उसके शरीर को चाटते हुए पक्या ने उसे उठाया और एक पल में ब्लाउज़ उतारकर बिस्तर के नीचे फेंक दिया।
उसकी ब्रा भी उतारी… और साइड में फेंक दी। और तुरंत उसके मादक भरे हुए रसीले स्तनों पर हाथ डाला।
उसके मुलायम नाज़ुक मादक स्तनों को पक्या प्यार से सहलाने लगा। सहलाते-सहलाते धीरे-धीरे दबाने लगा।
उसके मज़बूत हाथ उसके गोरे भरे हुए स्तनों पर फिर रहे थे, आशा को अनोखा सुख दे रहे थे।
उसके चीखने शुरू थे।
“आह… पक्या…
उम्म म्…
आह ह ह…
आउच…
आह ह ह ह ह…”
लेकिन उसे एक अलग मज़ा आ रहा था।
उसके काले निप्पल सख्त हो गए थे…
ऐसा लग रहा था कि ये आदमी कितने दिनों से भूखा है।
उसके स्तनों को ज़ोर से रगड़ते हुए पक्या ने उसका एक स्तन मुँह में पकड़ा और दूसरे स्तन को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा।
उसका स्तन मुँह में लेकर चूस रहा था। एक को चूसने के बाद एक निप्पल मुँह में पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था।
आशा नीचे से छाती ऊँची करके उसे साथ दे रही थी। उसकी लार से उसके निप्पल और स्तन भीगकर गीले हो गए थे।
रसीले आम चूसते हैं वैसे उसके स्तन पक्या चूस रहा था। बीच-बीच में पक्या उसके होंठों पर, गर्दन पर, पेट पर, हर जगह चुम्बन ले रहा था।
दोनों खेल में अच्छे से रंग गए थे।
पक्या उसे रगड़ रहा था। आशा ने उसके शर्ट के बटन एक-एक करके खोले और उसका शर्ट उतार दिया।
ये गर्म मादा ठोकनी चाहिए।
पक्या उठा और जल्दी से उसने अपनी पैंट उतारी, अंडरपैंट उतारी।
तुरंत उसका लंबा सख्त हथियार उसके सामने आ गया।
बहुत सख्त हो गया था और तुरंत उसने उसके दोनों पैर पकड़े।
उसे लगा अब घुसाना चाहिए।
लेकिन आशा ने उसे रोका और बोली,
“पक्या, 2 मिनट रुको…”
आशा का ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी थी, लेकिन साड़ी नहीं उतारी थी अभी।
वो उठी और उसका सख्त हुआ लंबा हथियार अपने मुलायम हाथों में हिलाने लगी।
हिलाते-हिलाते आगे-पीछे करने लगी…
उसके मादक हाथों का स्पर्श जब उसके लिंग को हुआ तो पक्या
आँखें बंद करके “आह… आ… आशा अह्ह्ह…” ऐसा करने लगा।
आशा ने अपनी गीली जीभ उसके लिंग के सुपड़े पर रखकर चाटते-चाटते उसके लिंग का सुपड़ा अपने मादक होंठों में पकड़कर धीरे से मुँह में लिया।
और धीरे-धीरे उसके लिंग को अपने मुँह में डाला। उसके मुँह की लार से उसका लिंग भीग गया था। उसका सख्त हथियार आशा मुँह में लेकर आगे-पीछे कर रही थी। शुरू में धीरे-धीरे, फिर ज़ोर-ज़ोर से उसका सख्त हथियार चूस रही थी।
पक्या पागल हो गए थे…
पक्या आवाज़ निकाल रहे थे…
“आह… आशा अह्ह्ह…
बहुत मज़ा… आह…”
पहली बार किसी औरत ने उसका हथियार मुँह में लिया था।
इसलिए उसका आनंद छलक रहा था। पक्या को बहुत मज़ा आ रहा था।
उसकी भी चूत गीली होकर रिस रही थी। उसे महसूस हो रहा था।
उसकी साड़ी वैसे ही थी। पक्या ने सिर्फ़ ब्लाउज़ और ब्रा उतारी थी।
साड़ी और पेटीकोट अभी थे…
आशा ने उसका सख्त हथियार अपने मुँह से निकाला और बिस्तर पर लेट गई। उसका हथियार उसकी लार से गीला हो गया था।
आशा बिस्तर पर लेटी। पक्या उसके ऊपर आया और उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करके उसके दोनों पैर फैलाए और अंदर हाथ डाला।
उसकी पैंटी रिसकर पूरी गीली हो गई थी। दोनों हाथ साड़ी के अंदर डालकर पक्या ने उसकी पैंटी उतारी और नीचे फेंक दी।
उसकी मादक अदाओं से आशा उसे जवाब दे रही थी।
पक्या ने दोनों हाथ कमर में डालकर उसे पास खींचा। पक्या उसके दोनों पैरों के बीच था। उसने उसकी काले रंग की नेट की साड़ी और काले रंग का पेटीकोट दोनों ऊपर किया। पक्या ने उसकी गीली हुई मादक चूत देखी और होंठों पर जीभ फिराई और उसकी गर्म गीली चूत पर हाथ रखा। उसके स्पर्श से आशा बेकाबू हो गई… “आह… पक्या… आ…”
पक्या ने उसकी गीली चूत को सहलाया।
उसका हाथ चिकचिक हो गया।
पक्या बोला,
“आशा रानी, अंदर डालूँ क्या…”
(आशा बिस्तर पर लेटी हुई थी)
ऐसा कहकर पक्या ने आशा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक पूरा ऊपर कर दिया और उसके दोनों पैर फैलाए।
पक्या ने अपना हथियार उसकी गर्म हुई गीली चूत पर रखा और अपने मज़बूत हाथों से उसके नाज़ुक पैर दोनों तरफ फैलाकर पकड़े और उसकी गीली चूत पर ज़ोर का धक्का मारा।
आशा चीख पड़ी…
“आ… आई गं… पक्या…
मर जाऊँगी मैं…”
ऐसा कहकर चीखी क्योंकि उसका पत्थर जैसा सख्त हथियार आधा उसके अंदर घुस गया था।
एक झटके में पक्या ने उसकी चूत में आग लगा दी।
पक्या बोला,
“रुक आशा, ये कोई नई बात नहीं है। तू शादीशुदा है।
पूरा अंदर जाने दे।”
आशा बोली, “पक्या, तू बहुत खतरनाक है… आह… आउच…”
पक्या ने उसके पैर कसकर पकड़कर अच्छे से फैलाकर रखे थे।
“2 मिनट रुक रानी…” ऐसा बोला और 2-3 धक्के उसकी गर्म चूत पर देकर
उसका लंबा सख्त हथियार पूरा उसकी गीली चूत में आर-पार घुसा दिया।
काले जा तक घुसने जैसा लगा।
आशा कराह रही थी…
“आई गं आ… आह… उफ्फ… आह… पक्या… उम्म…”
उसका मोटा लिंग जब उसकी गर्म चूत में पूरा आर-पार घुस गया तो आशा थोड़ा रिलैक्स हुई और साँस छोड़ी…
पक्या ने मोटा लिंग उसकी गर्म चूत में डालकर उसे धीरे-धीरे ठोकना शुरू किया…
पक्या धक्के दे रहा था और उसकी रिसती चूत में पूरा लिंग अंदर-बाहर कर रहा था।
आशा नीचे से आवाज़ निकालकर उसे जवाब दे रही थी।
“आह पक्या, बहुत मज़ा आ रहा है… आह…
आ… आउच… आह पक्या… ऐसे ही करो… हाँ…”
“हाँ मेरी रानी…”
ऐसा कहकर पक्या ने ठोकने की रफ्तार बढ़ा दी। उसकी गर्म चूत गीली होकर पच… पच… बज रही थी।
पक्या पागल होकर लिंग को उसमें आर-पार घुसा रहा था… पक्या ठोकते वक्त आशा के दो गोरे मादक स्तन हिल रहे थे।
ठोकते वक्त पक्या स्तनों को पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से दबाता था, मसलता था, निप्पल को चिमटी में पकड़कर दबाता था…
आशा मुँह से चीख निकालती थी।
तब पक्या और उत्तेजित हो जाता और ज़ोर का धक्का मारकर अपना सख्त लिंग आर-पार घुसा देता था…
“आह… पक्या… हाँ… आ… आ… आ… उफ्फ… आई गं…”
पक्या जब सख्त लिंग का धक्का उसकी गर्म चूत पर देता था तो वो “आ… आ… आ” ऐसी आवाज़ें निकालती थी।
बहुत दिनों से किसी औरत को नहीं भोगा था, उसकी कसर पक्या आशा पर निकाल रहा था। बहुत जोश में उसे ठोक रहा था…
उसका सख्त लिंग उसके अंदर गहराई तक घुस रहा था और उसे स्वर्ग का सुख दे रहा था।
पक्या ने उसकी गर्म गीली चूत से अपना हथियार निकाला।
वो पूरा चिकचिक हो गया था।
“आह पक्या…
मैं घोड़ी बनती हूँ…
तू पीछे से चढ़ मेरे ऊपर…”
पक्या उठकर साइड में हो गया।
आशा तुरंत खाट पर घुटनों के बल बैठकर घोड़ी बन गई और उसे बोली,
“पक्या, डाल जल्दी…”
आशा उसके सामने घोड़ी बन गई थी। उसकी सेक्सी बॉम्ब फिगर उसके सामने थी।
पक्या उसके पीछे आया, उसका काले रंग का पेटीकोट ऊपर उठाया और घुटने टेककर
उसके गोल गुदगुदे नितंबों पर हाथ रखकर सहलाया, कूल्हों को दबाया, फैलाकर पकड़ा।
और अपना गर्म मज़बूत सख्त हथियार उसकी पानी छोड़ती चूत पर रखा और एकदम ज़ोर का धक्का मारा।
पक्या ने सख्त हथियार का झटका इतना ज़ोर से मारा कि
आशा बहुत ज़ोर से चीखी…
“आ… बाप रे…
आई गं… आह… आह… आह…”
एक झटके में उसके दिल की धड़कनें बढ़ गईं।
उसके पूरे शरीर में कंपन हो गया…
उसके एक झटके में उसका सख्त तना हुआ हथियार उसकी गीली चूत के छेद में आर-पार पूरा घुस गया।
आशा कराह रही थी…
“आह… उम्म म्…
आ… आ…
पक्या, मेरी जान लेगा क्या…”
“अरे आशा, तेरे जैसी गर्म और मस्त मादा मुझे आज तक नहीं मिली।
तुझे ठोकने में बहुत मज़ा आ रहा है…
“ज़ोर से ठोककर एक अलग आनंद दे रहा हूँ तुझे, वो आनंद मन भरकर ले।
और मुझे भी तेरी चूत के गर्म छेद का आनंद लेने दे…”
ऐसा कहकर पक्या ने उसके कूल्हों को हाथों से कसकर पकड़ा और
उसे पीछे से ठोकना शुरू किया।
पक्या कुत्ते की तरह उसे पीछे से ठोक रहा था।
उसकी गर्म चूत रिस रही थी।
इसलिए “पच… पच…” की आवाज़ आ रही थी।
उसका कराहना, चीखना, चिल्लाना शुरू था।
“आह… हाँ… पक्या… आ… आ… आ…
उफ्फ… आई गं आह… पक्या…”
पक्या ने आशा को सीधा लिटाया और पैर फैलाकर गपकन हथियार उसकी चिकचिक गर्म चूत में डाल दिया।
उसका लिंग सरकते हुए उसकी चूत में आर-पार घुस गया।
इस बार थोड़ी तकलीफ हुई।
उसका चीखना शुरू था।
“आह… पक्या
हाँ…”
उसकी मादक और सेक्सी अदा देखकर पक्या और जोश में आ गया और उसके आम जैसे बॉल्स को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ते हुए उसकी गीली चूत में सटासट हथियार डाल रहा था।
ज़ोर-ज़ोर से डालते हुए पक्या ने एक ज़ोर का झटका उसकी चूत पर मारा और “आह… आह… आशा आह्ह्ह आशा रानी” ऐसा कहकर
गर्म वीर्य का फवारा उसकी गर्म चूत में छोड़ दिया। पक्या ने उसकी चूत को अपने वीर्य से गीला-गीला कर दिया।
पक्या और आशा पसीने से तर हो गए थे।
पक्या ने वैसे ही उसके गर्म मादक नंगे शरीर पर लेट गया।
और आशा उसका 70 किलो वज़न लेकर वैसे ही लेटी रही।
पक्या आज पूरी तरह आशा को भोगकर तृप्त हो गया था।
संतुष्ट हो गया था।
उसके जैसी मादक मादा को पक्या ने धड़ाधड़ ठोककर आज़ाद किया था।
और पक्या भी आज़ाद हो गया था।
उसे उसके नाज़ुक मादक शरीर पर नींद आ गई थी।
आशा सिर्फ़ 24 साल की थी और 50 साल के उसने आशा को झेलकर नया अनुभव लिया था।
घर पहुँचने पर शांता ने पक्या को आते हुए देखा। उसे देखकर वो बहुत खुश लग रहा था। क्योंकि शांता के साथ उसे उसकी सगी बहन भी चखने को मिली थी। उसके पीछे-पीछे आशा को आते देखते ही आशा भी गालों में हँसते हुए घर में चली गई। उस रात पक्या को नींद नहीं आ रही थी।
वो लगातार आशा के ख्यालों में खोया हुआ था।
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