नमस्ते दोस्तों, ये कहानी 2 साल पहले की है। मेरी दुकान पर एक भाभी आया करती थी। सच कहूँ तो उन्हें सिर्फ भाभी कहना गलत होगा, क्योंकि वो किसी परी जैसी थी। उसका रंग दूध की तरह सफेद था और जहाँ छूओ, वहाँ टमाटर की तरह लाल हो जाए ऐसा बदन था। उसकी हाइट करीब 5 फीट 3 इंच थी। उसके स्मूथ और सिल्की बाल किसी नागिन की तरह लहराते थे।
जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे लगा कि ये बहुत खूबसूरत माल है और मेरे हाथ में आना मुश्किल है। लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उसका फिगर जबरदस्त था और वो पूरी मारवाड़ी थी।
पहली बार वो मेरे घर कुछ सामान लेने आई थी। इसके बाद हमारी मुलाकातें बढ़ने लगीं। वो कभी-कभी दोपहर में आती और हम घंटों बातें करते रहते। उसका पति नेवी में था, जो साल में सिर्फ दो बार आता था। जब वो आता, तो ये बेचारी कहीं बाहर नहीं जाती थी। वो अपने पति के साथ खुश नहीं थी, क्योंकि वो जानवर जैसा इंसान था।
उसके घर में उसकी सास रहती थी। हमारी मुलाकातों के 8 महीने बाद उसकी सास का देहांत हो गया। घर में अकेले रहने से वो तंग आ गई थी। जब उसने मुझे ये बात बताई, तो मैंने कहा, “घर का काम खत्म करके दुकान पर आया करो। तुम्हारा दिल हल्का होगा और मेरा दिल तुम पर आ जाएगा।” वो बोली, “क्या मैं दिल लगाने की चीज हूँ कि तुम्हारा दिल मुझ पर आएगा?” मैंने कहा, “नहीं, तुम तो दिल से लगाने लायक चीज हो।” वो शरमा गई और जाते वक्त बोली, “इस शनिवार से आऊँगी और जल्दी जाऊँगी भी नहीं।”
अब मुझे शनिवार का इंतज़ार था। उस दिन मैं भी सज-धजकर दुकान गया और सोचा कि आज से रोज मज़ा आएगा। वो ठीक 12 बजे आई और उसे देखकर मेरे तो होश उड़ गए। उसने सफेद रंग का खूबसूरत कुर्ता और सफेद लेगिंग पहनी थी। उसके पैर ऐसे लग रहे थे कि अभी इन्हें खा जाऊँ। जब वो मेरे पास आकर बैठी, तो बोली, “ऐसे क्या देख रहा है? मुझे पहली बार देख रहा है क्या?”
मैंने कहा, “लड़कियाँ तो बहुत देखीं, लेकिन आज तो अप्सरा को देख रहा हूँ।” वो शरमाकर लाल हो गई। इसके बाद हमारी नजदीकियाँ बढ़ीं। फिर उस साल दिवाली के बाद मेरे घरवाले 15 दिनों के लिए शादी में बाहर गए। मैंने उससे कहा, “अब से हम रोज होटल में खाना खाएँगे।” वो बोली, “ठीक है।” फिर ठंड बढ़ने लगी। दो दिन बाद मैंने कहा, “मैं तुम्हें घर छोड़ता हूँ और खाने के लिए आते वक्त लाल साड़ी पहनकर आना। तब तक मैं खाना पैक कर लाता हूँ।” मैंने उसे घर छोड़ा और खाना पैक करके गुलाब जामुन भी लिए। फिर उसके घर की ओर चल पड़ा। जब मैं पहुँचा, तो दरवाजा बजाने से पहले ही उसने दरवाजा खोल दिया। उसे देखकर मैं दंग रह गया। उसने क्या साड़ी पहनी थी—लाल शिफॉन साड़ी! मैंने कहा, “आज मुझे यहाँ ही रुकना पड़ेगा।” वो बोली, “तो रुक जाओ ना।” मुझे समझ आ गया कि आग दोनों तरफ लगी है।
खाना खाने के बाद मैंने कहा, “चलो टीवी देखते हैं।” पास बैठकर टीवी देखते-देखते हमारी बात सेक्स तक पहुँच गई और वो उदास हो गई। मैंने पूछा, “क्या हुआ? तुम्हारा पति अच्छा नहीं है क्या?” वो बोली, “पति तो अच्छा है, लेकिन वो जंगली है। मुझे रोमांस पसंद है। उसने आज तक मुझे कभी किस नहीं किया।” ये कहते वक्त उसके होंठ काँपने लगे। मैं उसके और करीब गया, धीरे से उसकी कमर पर हाथ रखा, उसे अपनी ओर खींचा और प्यार से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
होंठ रखते ही वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे होंठों को भूखी शेरनी की तरह चूसने लगी। मुझे लगा जैसे ये उसकी जिंदगी का आखिरी किस हो। होंठ चूसते वक्त मैंने उसे जोर से पकड़ा और किस करते-करते उसे बेडरूम में ले गया। वहाँ उसे बेड पर लिटाया और प्यार से उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर उसके स्तनों पर उंगलियाँ फिराने लगा। बीच-बीच में उसे किस भी करता रहा। उसकी साँसें ट्रेन के इंजन से भी तेज चल रही थीं और उसका शरीर भट्टी की तरह तप रहा था। तभी उसने मेरा शर्ट पकड़कर मुझे अपनी ओर खींचा और किस करने लगी। मैंने किस करते-करते उसके ब्लाउज के हुक खोले। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसके स्तनों को नीचे से पकड़कर धीरे-धीरे दबाने लगा। उसने मेरे होंठ छोड़े और सिसकारियाँ भरने लगी।
अब मैं उसके गले पर, आँखों पर, पूरे शरीर पर किस करने लगा। उसके स्तनों पर किस किया, उन्हें दबाया और चूसने लगा। वो बोली, “आई लव यू, प्लीज ऐसा मत करो, मैं आखिर तक तुम्हारी ही हूँ।” मैंने कहा, “तू अब मेरी होकर ही जाएगी।” मैं उसके सफेद-सफेद स्तनों को दबाते हुए उसके निप्पल पर हल्का सा काटा, तो वो हँसते हुए बोली, “इतना धीरे मत कर कि मेरी जान ही निकल जाए।” फिर मैं उसके स्तनों को चूसने और जोर-जोर से दबाने लगा। फिर वो उठी, अपनी साड़ी और पेटीकोट उतारा और काली पैंटी उतारने लगी। मैंने कहा, “इस पर मेरा हक है।” वो फिर लेट गई।
अब मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में उसके ऊपर आकर उसके पेट को चाटने लगा। धीरे-धीरे नीचे आते हुए उसकी नाभि तक पहुँचा और उसे चाटने लगा। मेरा हाथ नीचे रखा तो पता चला कि उसकी चूत से इतना पानी बह रहा था कि बेडशीट गीली हो गई थी। फिर मैं नीचे आया और मुझे शरारत सूझी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को किस करते हुए उसकी जाँघों को चूमा। इससे वो और तड़पने लगी और बोली, “तू बहुत गंदा है।” मैंने पैंटी के ऊपर से किस की, तो उसकी लंबी सीटी बजी। वो बोली, “बहुत ठंड लग रही है, अब कुछ कर ना।”
फिर मैंने उसकी पैंटी को दाँतों से खींचकर उतारा। देखा तो उसकी चूत से अमृत की धारा बह रही थी, वो बहुत मस्त थी। वो बिना छुए ही झड़ रही थी। मैंने उसकी चूत को किस करते हुए अपनी जीभ अंदर डाली और प्यार से चाटने लगा। खूब चाटने के बाद अब चोदने की बारी थी।
मैंने अपना 7 इंच का लंड निकाला और उसके हाथ में दिया। वो बोली, “मेरे पति का तो काला नाग है, लेकिन तेरा खूबसूरत तोता पूरा गुलाबी है। मन कर रहा है इसे अभी खा जाऊँ।” मैंने कहा, “क्यों नहीं? आज अपनी सारी इच्छाएँ पूरी कर ले।” इतना कहते ही उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। चूसते हुए बोली, “अब बस, इसे अंदर डाल, वरना मैं मर जाऊँगी।” मैंने उसकी दोनों जाँघें अपने कंधों पर रखीं और अपना लंड धीरे से उसकी चूत में धकेला। धीरे-धीरे अंदर डालते गया। जैसे-जैसे वो अंदर जा रहा था, उसकी साँसें तेज होती गईं। मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकराया और उसकी जान निकल गई। वो बेहोश सी हो गई। फिर मैंने उसे धीरे-धीरे धक्के देकर खूब चोदा और चाटा। 55 मिनट की चुदाई में वो चार बार झड़ी और मैंने दो बार पानी छोड़ा।
उस रात से आज तक हम पति-पत्नी की तरह रहते हैं।
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